यहां तिथि से पहले ही मनाये जाते हैं त्योहार
कोलकाता टाइम्स :
अपनी लोक संस्कृति और अनोखे रीति-रिवाजों के लिए विख्यात है छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का सेमरा गांव। इस गांव में सिर्फ दशहरा ही नियत तिथि को मनाया जाता है, बाकी दिवाली, होली जैसे कई बड़़े त्योहार सप्ताहभर पहले ही मनाए जाते हैं।
इस वर्ष भी जब पूरे देश के लोग दिवाली 11-12 नवंबर को मनाया तो सेमरा (सी) में दिवाली के लिए 5 नवंबर की तारीख तय की गई । कई बुजुर्गो, युवाओं और बच्चों ने स्वीकार किया है कि त्योहार तय तिथि से पहले मनाए जाते हैं, इसके बावजूद लोगों में खूब उत्साह रहता है। पौने दो सौ की आबादी वाले सेमरा (सी) में मतभेद और मनभेद की भावना से परे हटकर ग्रामीण सैकडों वर्षो से इस अनोखी परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं।
अब तक किसी ने भी अपने पूर्वजों के जमाने से चली आ रही इस परंपरा से मुंह नहीं मोड़ा है। चौंकाने वाली बात यह कि इस पंरपरा की शुरूआत कब हुई, इससे ग्रामीण अनजान हैं। यहां ग्राम देवता सिरदार देव के स्वप्न को साकार करने प्रतिवर्ष दिवाली, होली पोला और हरेली का त्योहार तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व मनाया जाता है। इस वर्ष बुजुर्ग, युवा और बच्चे 5 नवंबर को दिवाली मनाने की तैयारी में हैं। गांव के 85 वर्षीय बुजुर्ग डोमार देवांगन ने बताया कि सैकड़़ों वर्ष पूर्व इस गांव की भूमि में एक बुजुर्ग ने आकर निवास किया।
उनका नाम सिरदार था। उनकी चमत्कारिक शक्तियों एवं बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होने लगीं। लोगों में उनके प्रति आस्था व श्रद्धा का विश्वास उमडऩे लगा। समय गुरजने के बाद सिरदार देव के मंदिर की स्थापना की गई। मान्यता है कि किसी किसान को स्वप्न में सिरदार देव ने कहा था कि प्रतिवर्ष दीपावली, होली, हरेली व पोला ये चार त्योहार हिंदी पंचाग में तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व मनाए जाएं, ताकि इस गांव में उनका मान बना रहे। तब से ये चार त्योहार प्रतिवर्ष ग्रामदेव के कथनानुसार मनाते आ रहे हैं।