July 4, 2024     Select Language
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आप मानेंगे नहीं, लो स्पर्म की वजह हो सकती है हल्दी 

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कोलकाता टाइम्स : 

ल्दी के अनगिनत स्‍वास्‍थ्‍य लाभ हैं, पर फिर भी इसकी ज्‍यादा मात्रा के सेवन से कुछ साइड इफेक्‍ट भी हो सकते हैं। वो कहते है ना हर चीज की अति भी नहीं होनी चाहिए। कई महिलाएं इसे फेस पैक में मिलाकर चेहरे पर लगाती है तो कई लोग इसे दूध में डाल कर पीते हैं। शायद आपको मालूम हो कि हल्‍दी की तासीर गर्म होती है जिस वजह से इसे ज्‍यादा लेने से आपको कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।

इसलिए हर किसी को इसे नहीं लेना चाहिए। खासकर उन लोगों को जिनकी बॉडी गर्म रहती है या जिन्हें नाक से खून आना या पाइल्स जैसी प्रॉब्लम्स रहती हैं। यह ब्लीडिंग को बढ़ा देता है। आइए जानते है कि किन लोगों को हल्‍दी के दूध पीने या ज्‍यादा हल्‍दी के सेवन से बचना चाह‍िए।
एलर्जी : अगर आपको मसालों के सेवन से एलर्जी हो जाती है तो हल्दी का भी प्रयोग बंद कर दें। यह आपकी एलर्जी को और बढ़ा सकती है।
लो स्‍पर्म : आप मानेंगे नहीं लेकिन हल्दी, टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के स्तर को कम कर सकता हैं। ये मेल हार्मोन होता है इसकी कमी की वजह से स्पर्म की सक्रियता में कमी आ जाती है। अगर आप अपनी फैमिली प्लान कर रहे हैं तो कोशिश कीजिए कि हल्दी का सेवन ज्‍यादा न करें।
एन‍िमिया :  हल्दी का बहुत अधिक सेवन करने से आयरन का अवशोषण बढ़ जाता है। जिन लोगों में पहले से ही आयरन की कमी है उन्हें बहुत सोच-समझकर हल्दी का सेवन करना चाहिए। इससे एनीमिया की समस्‍या बढ़ सकती है और खून भी पतला हो सकता है।
गर्भवती सावधान :हल्दी को भोजन में कम मात्रा में लिया जाए तो गर्भावस्था के दौरान कोई परेशानी नही हैं। लेकिन इस समय पर ज्यादा सेवन या इसका दवाई के रूप में सेवन खतरनाक हो सकता है। इससे यह गर्भाशय को उत्तेजित कर सकता है जिससे गर्भ गिर भी सकता है और मासिक धर्म की अवधि को बढ़ा सकता है।
एसिडिटी और गैस : अगर किसी को एसिडिटी और गैस है या पेट का अल्सर है तो उन्हें हल्दी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसमें मौजूद करक्यूमिन गैस, एसिडिटी की समस्या बढ़ाता है।
नकसीर और बवासीर : जिन लोगों को नकसीर और पाइल्‍स यानी बवासीर की समस्‍या उन्‍हें तो हल्‍दी खाने से बचना चाह‍िए। क्‍योंकि हल्‍दी की तासीर गर्म होती है तो ये समस्‍याएं और बढ़ा सकती है।
पथरी : रोजाना ज्यादा हल्‍दी खाते हैं तो ये गालब्‍लेडर में किडनी बना सकते है। हल्दी में घुलनशील ऑक्सालेट के उच्च स्तर होते हैं जो आसानी से कैल्शियम से जुड़ सकते हैं और अघुलनशील कैल्शियम ऑक्सलेट बना सकते हैं। अघुलनशील कैल्शियम ऑक्सालेट 75% सभी किडनी स्टोन समस्याओं के कारण होता है।
किडनी स्टोन बनाने की प्रवृत्ति वाले लोगों को रोजाना 40-50 मिलीग्राम से कम डाइटरी ऑक्सीलेट के सेवन को सीमित करते हैं, जिसका मतलब है कि हल्दी को संयमित मात्रा में खाना चाह‍िए।
सर्जरी के दौरान हल्दी खून का थक्का जमने नहीं देता है, जिसकी वजह से खून का स्त्राव बढ़ जाता है। अगर आपकी किसी तरह की सर्जरी हुई है या फिर होने वाली है तो हल्दी के सेवन से बचें

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