July 1, 2024     Select Language
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‘अदृश्य शैतानों’ ने इस गांव को बना दिया Suicide Village’

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कोलकाता टाइम्स :

ध्य प्रदेश के गांव बडि को भारत का ‘आत्महत्याओं का गांव’ कहा गया है। इस गांव में कोई भी ऐसा घर नहीं है जहां के किसी भी सदस्य ने आत्महत्या ना की हो। यह गांव आधिकारिक तौर पर भारत के सबसे पिछड़े गांवों में आता है।

बडि के नए सरपंच राजेंद्र सिसोदिया को डर है कि वे अपने गांव के प्रति जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर पाएंगे। राजेंद्र को दो महीने पहले, पूर्व सरपंच और उनके चचेरे भाई के आत्महत्या के बाद गांव का सरपंच बनाया गया था। राजेंद्र के चचेरे भाई ने अपने घर के सामने पेड़ से लटक कर आत्महत्या की थी। उनकी मां और उनके भाई ने भी कुछ समय पहले आत्महत्या की थी। राजेंद्र को इन आत्महत्याओं को रोकने की पूर्ण काशिश करनी है।

इन घटनाओं के बाद से उनके परिवार में डर और मुसीबतें बढ़ गई हैं। यही हाल पूरे गांव का है। चौंकाने वालें आंकड़े सामने आएं हैं जिनमें पता चला कि 2,500 की जनसंख्या वाले इस गांव में पिछले दो दशकों में 350 आत्महत्या की गई हैं। इसी साल के शुरूआती तीन महीनों में बदि में 80 गांव वालों ने आत्महत्या की है।

हालांकि गांव वालों का मानना है कि इन सब आत्महत्याओं के पीछे शैतानी शक्तियों का हाथ है लेकिन बाकी सबका मानना है कि सारी आत्महत्या तनाव में की गई हैं। इंदौर के मनो चिकित्सक डॉ. श्रीकांत रेडी ने बताया कि यह सारी आत्महत्याओं का कारण तनाव है।

उन्होंने बताया कि यह भी हो सकता है क्योंकि इस गांव के लोग सचाई को नहीं मानना चाहते इसलिए शैतानी शक्तियों को आत्महत्या का कारण बताते हैं लेकिन सच यही है की तनाव मुख्य कारण है। हालांकि डॉ. रेडी का कहना है कि आर्थिक तंगी के अलावा तनाव का कारण खेतों में इस्तेमाल किया जाने वाला कीटाणुनाशक भी हो सकता है। जिसके ज्यादा इस्तेमाल से इंसान की सोचने की क्षमता कम हो जाती है और दिमागी हालत ठीक न रह पाने के कारण इंसान ऐसे कदम उठाता है।

कपास की फसल में कीटाणुनाशक डाला जाता है और कई बार फसल के खराब होने से उनको नुकसान और रूपए की कमी होता है दोनों ही कारणों से तनाव बढ़ता है।

जिले के कलेक्टर ने आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखकर एक कमेटी बनाने का फैसला लिया जिसमें लोगों से बात करके उन्हें आत्महत्या करने से रोका जा सके। इस कमेटी में गांव की औरतें मर्दों को समझाती हैं। औरतों के परिश्रम से गांव में शराब की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है।

हालांकि गांव के मर्द शराब लेने के लिए गांव से बाहर चले जाते हैं। इस पर औरतों का कहना है कि वे अपनी कोशिश नहीं छोड़ेंगी।

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