July 3, 2024     Select Language
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हजारों साल पुराने ‘जज अंकल’ करते हैं यहां न्याय 

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कोलकाता टाइम्स : 
पको थोड़ा आश्चर्य होगा। पर केरल के एक प्रसिद्ध मंदिर में जज अंकल हैं जो न्याय करते हैं।  जज अंकल यानी केरल के पोंकुणम स्थित प्रसिद्ध देवी मंदिर में इष्टदेव। स्थानीय बुद्धिजीवियों का मानना है कि ये आज भी ऐसे लोगों के साथ न्याय करते हैं जो किसी कानूनी दांवपेंच में गलत फंस जाते हैं।

दरअसल 18 शताब्दी में राजा धर्म राज कार्तिक हुआ करते थे, उनके राज्य में गोविंद पिल्लई नाम के एक न्यायाधीश भी थे। पिल्लई अपनी ईमानदारी और न्याय व्यवस्था के लिए काफी चर्चित थे। एक मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने अपने ही भतीजे को मृत्युदंड की सजा सुना दी थी। जब उसे सजा हो गई तब पिल्लई को एहसास हुआ कि उन्होंने सजा सुनाने में गलती की है।

इसके बाद अपराध बोध में पिल्लई ने राजा से कहा कि उसे दंडित किया जाए। राजा धर्म राज ने पिल्लई से कहा, वो अपनी सजा खुद तय करें। इसके बाद पिल्लई ने खुद को सजा के तौर पर पेड़ से लटकाने और दोनों पैर काटने का आदेश दिया। उनकी मौत के बाद से ये चर्चा चारों ओर इलाके में होने लगी कि पिल्लई की आत्मा आज भी वहां भटकती है। बताया जाता है कि पिल्लई की आत्मा 1100 साल पुराने एक मठ में स्थित पत्थर में सीमित थी। यही वो जगह बन गई जहां सालों से लोग न्याय की फरियाद लेकर आते हैं और अपनी व्यथा सुनाते हैं।

हर दिन यहां पूरे देश से सैकड़ों भक्त यहां आते हैं। छोटे मोटे कानूनी मामले हों, जमीन का विवाद हो या गंभीर आपराधिक मामला हर तरह के मामले की फरियाद लेकर इन जज अंकल के यहां पूरे देश से लोग आते हैं।

मंदिर प्रशासन के अनुसार, जज अंकल के यहां फरियाद करने वालों में साधारण इंसान से लेकर ब्यूरोक्रेट सहित कई वीआईपी आते रहते हैं। साल 2013 में क्रिकेटर श्रीसंत भी जज अंकल से फरियाद करने आये थे। यहां तक कि देश की तमाम कोर्ट से कई जज अपना अधिभार ग्रहण करने से पहले यहां जरूर आते हैं।

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