November 23, 2024     Select Language
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तन्हाई है Smoking से भी ज्यादा खतरनाक

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कोलकाता टाइम्स : 

खाने आती दिवार, डराता बिस्तर, कांपता सामान…. कुछ ऐसा होता है अकेलापन। तन्हा रह रहे इंसान को अक्सर उसकी ही चीजें डरावनी सी लगने लगती हैं, जो सेहत के खतरनाक साबित हो सकती है। इस रिपोर्ट की माने तो इस एकांत्ता ने न केवल घर बल्कि कार्यस्थलों में भी अपनी जड़ें जमा ली हैं। भीड़ के बीच भी अकेलापन बना रहता है। इसके बाद से अकेलापन मोटापे, धूम्रपान और शराब से ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।

लत: अमेरिका में ग्लोबल हेल्थ सर्विस कंपनी सिआगा ने एक सर्वे किया है। इसमें उन्होंने 18-22 तक की उम्र के लोगों को सबसे ज्यादा अकेलेपन का शिकार बताया है। ये लोग सबसे ज्यादा वक्त सोशल मीडिया पर गुजारने के बाद भी सबसे अकेले हैं। ऐसे लोग की तादाद 43.5% है। इसके अलावा वे लोग जो अकेलेपन का शिकार है और कभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं किया, उनकी तादाद 41.7% है।

बढ़ती तादाद : रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया ने आमने-सामने बातचीत को रिप्लेस कर अकेलेपन के तादाद को बढ़ावा दिया है। भारत में 2016 में लगभग 168 मिलियन लोग सोशल नेटवर्क का उपयोग करते थे। जो संख्या बढ़कर 2019 में 258 मिलियन के करीब पहुंच गई है। एक ऑनलाइन मार्केट रिसर्च और बिजनेस इंटेलिजेंस पोर्टल स्टेटिस्टा के अनुसार, सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्क यूट्यूब, फेसबुक और व्हाट्सएप हैं, अकेले फेसबुक के 2021 तक भारत में 319 मिलियन उपयोगकर्ता होने का अनुमान है।

खतरनाक बीमारी  : कम से कम 70 अध्ययनों के अनुसार, घटते सामाजिक समर्थन से परिवार छोटे होते जा रहे हैं, लोग काम के लिए पलायन करते हैं इससे अकेलापन बढ़ता है। अकेलापन दूसरों के बीच अवसाद, हृदय रोग और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ाता है, अकेले रहने वाले लोगों के लिए एक स्वस्थ जीवन जीने की संभावना कम होती है। समाज से जुदा होकर अकेले चलने वाले लोगों में अन्य लोगों के मुकाबले हार्ट अटैक के चान्सेस 40 प्रतिशत ज्यादा होते हैं। इतना ही नहीं, अकेले रहने वाले लोगों में डिप्रेशन का रिस्क भी सबसे ज्यादा होता है। एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि अकेले रहने वाले लोगों में क्रॉनिक डिजीज का खतरा भी काफी ज्यादा होता है।

अकेलेपन से लोगों में कॉर्डियोवास्कुलर डिजीज होने का खतरा होता है। अकेलेपन से मौत की संभावना भी सामान्य लोगों से 50 प्रतिशत तक ज्यादा होती है। अकेलेपन से अकेले जूझने के बजाय एक बार जरूर डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए ताकि तमाम तरह की बीमारियों से बचकर मौत के रिस्क को भी कम किया जा सके।

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