July 2, 2024     Select Language
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कान की सफाई से जुड़ी है ये गलतफहमियां

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कोलकाता टाइम्स : 
रीर की बाकी हिस्‍सों की सफाई की तरह कान और नाक की सफाई बहुत जरुरी होती है। गर्मी और उमस की वजह से कान में बैक्‍टीरिया पनपने लगते है इसल‍िए समय-समय पर कान की सफाई होती रहनी चाह‍िए।  
लेकिन वहीं दूसरी तरफ कान के मैल व सफाई को लेकर कई तरह की गलत धारणाएं व भ्रांतियां लोगों में हैं। जानते हैं सच्‍चाई क्‍या है।
वास्‍तविकता : इयरवेक्‍स (जिसे सामान्‍य बोलचाल में मैल कहा जाता है) जो कान में कुदरती तरीके से बनता है और कई तरह से फायदेमंद होता है। यह धूल-मिट्टी और कण जैसे बाहरी अवयवों को कान में प्रवेश करने से रोकता है और ये कान को अधिक संक्रमण से बचाता है।
रोजाना कान साफ करने की वास्‍तविकता : कान में वेक्‍स खुद-ब-खुद बाहर न‍िकलता है। कभी-कभी कान की गुहा पतली या टेड़ी-मेड़ी होने पर यह अंदर जा रह जाता है। या फिर पानी जाने से फूल जाता है जब व्‍यक्ति असहज महसूस करता है। ऐसे में विशेषज्ञों की मदद लेनी चाह‍िए।
इयरबड का इस्तेमाल : तीली या इसी प्रकार की अन्‍य वस्‍तुएं वेक्‍स के केवल बाहरी सतही भाग को छूकर निकाल पाते हैं। लेकिन साथ ही मुख्‍य भाग को और अंदर धकेल देते हैं। कान के पर्दे के पास वैक्‍स के फंसने का मुख्‍य कारण इन चीजों का इस्‍तेमाल करना ही है। इन वस्‍तुओं से कान के पर्दे में चोट और संक्रमण का खतरा रहता है।
गरम तेल का इस्तेमाल  : दर्द होन, सुन्‍न होने आदि पर कान में गरम तेल डालने से कान में फंगल इंफेक्‍शन व अन्‍य समस्‍या पैदा कर सकता है।

ध्‍यान रखें

सड़कों पर कान साफ करने वालों को घूमते देखा होगा, जो हाथ में सलाई पकड़कर कान की सफाई करते हैं, जिनसे कान की सफाई कराना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। ये लोग एक ही सलाई का इस्तेमाल कई लोगों के कानों में करते हैं, इससे भी इंफेक्शन तेजी से फैलता है। इसके साथ ही यह लोग कानों के अंदर तक सिलाई डालते हैं, जिससे कान के पर्दे फट सकते हैं। ऐसे कई केस अस्पताल में आते हैं, जिसमें कान की गलत तरीके से सफाई के दौरान पर्दे फट जाते हैं।

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