June 26, 2024     Select Language
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गर्मी में लेना है कुछ अलग खूबसूरती का मजा तो यहां का करे प्लान 

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कोलकाता टाइम्स : 

ह है गुजरात का इकलौता हिल स्टेशन, जहां इन दिनों चल रहा है सापूतारा मानसून फेस्टिवल। डांग जिले में स्थित इस हिल स्टेशन में मानूसन के दौरान सैलानी खास तौर पर आते हैं। आज चलते हैं सापूतारा के दिलचस्प सफर पर।

देश को आप जितना जानेंगे-देखेंगे आप इसे उतना ही नया और अलग पाएंगे। इसकी वजह है कि यहां के कोने-कोने में ऐसे-ऐसे कीमती हीरे छुपे हुए हैं जिन्हें तलाश लाने के लिए चाहिए पारखी और कौतूहल वाली नजर। आप किसी भी दिशा में चले जाएं, कुछ न कुछ नायाब मिल ही जाएगा।  खास बात यह भी है कि हर मौसम के लिए एक अलग डेस्टिनेशन मौजूद है। गर्मियों में पहाड़ों पर सुखद एहसास होता है तो सर्दियों में सुनहरी रेत गर्माहट देती है। ऐसे में बरसात का हरा-भरा रंग देखना हो, तो है न पूरा का पूरा वेस्टर्न घाट। यह गुजरात से लेकर केरल तक देश के पश्चिमी सिरे पर पूरी आन, बान और शान से अरब सागर से उठकर आए मेघों को अपने घने जंगलों से पुकारता है। ये मेघ भी मानसून के रूप में केवल वेस्टर्न घाट को ही नहीं, पूरे देश को सराबोर कर देते हैं। सापुतारा सह्याद्रि पर्वतमाला के बीच करीब 1000 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक शांत और मनोरम हिल स्टेशन है। किसी ने सच ही कहा है मंजिल से ज्यादा सफर सुहाना होता है। यह बात आपको सापुतारा के रास्ते देखकर खुद महसूस कर सकते हैं। अगर आप नेचर के बीच जाकर उसकी खूबसूरती का जमकर लुत्फ उठाना चाहते हैं तो सापुतारा आपके इंतजार में है।

आदिवासियों का घर : सापुतारा हिल स्टेशन डांग जिले के जंगली क्षेत्र में स्थित है। यहां के जंगल मदहोश करने वाले हैं। टीक और बांस के पेड़ों से भरी यह वन संपदा कभी अंग्रेजों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी। ब्रिटिश हुकूमत इन जंगलों पर कब्जा करना चाहती थी लेकिन यहां के आदिवासी लोगों ने उनका सपना साकार नहीं होने दिया। तब ब्रिटिश हुकूमत ने यहां के आदिवासी कबीले के मुख्य सरदार के साथ एक संधि की जिसके एवज़ में ब्रिटिश हुकूमत इन जंगलों से कीमती टीक वुड हासिल कर सकी। यह जंगल घर है वर्ली, खुम्बी, भील और डांगी आदिवासी समाजों का। कहते हैं ये लोग 8वीं से 10वीं शताब्दी के दौरान यहां आकर बसे और यहीं के होकर रह गए। खुद को जंगलपुत्र कहने वाला आदिवासी समाज इन जंगलों से अथाह स्नेह रखता है, जिसका असर इनके जीवन के हर पहलू पर आप देख सकते हैं। इनके वाद्य यंत्र बांस के बने होते हैं। इनके लोक नृत्यों में बांस के बने मुखौटों का प्रयोग किया जाता है। शरीर पर बने टैटू में भी पेड़ों की आकृति का उपयोग होता है।

लेक सिटी है यह : अगर आप सोच रहे हैं लेक सिटी भोपाल या उदयपुर को ही कहा जाता है तो आपको यह भी जान लेना चाहिए कि देश में एक और लेक सिटी है सापुतारा। इसकी वजह है सापुतारा के बीचोंबीच बनी एक सुंदर और मनोरम झील, जो कि सैलानियों का खास आकर्षण है। इस झील में बोटिंग करने की सुविधा है। अच्छी बात यह है कि इसके लिए आपको बहुत पैसे नहीं खर्च करने होते हैं। बजट में यहां बोटिंग की सेवाएं सरकार द्वारा संचालित की जाती हैं। यहीं लेक के नज़दीक ही बहुत शांत और खूबसूरत बाग है सापुतारा लेक गार्डेन। इसमें कई तरह के खबसूरत पेड़ भी हैं जिन पर पास के जंगल से आए सुंदर पक्षी भी आपका मनोरंजन करने आ जाएंगे।

नागों का घर: सापुतारा का मतलब है ‘नागों का वास’। ऐसी जगह जहां नाग बसते हैं और यह बात सच भी है।  डांग के जंगलों में नागों की बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती हैं। होली के मौके पर यहां के डांगी आदिवासी समाज द्वारा सर्पगंगा नदी के तट पर इन नागों की पूजा करता है। इसका प्रमाण यहां स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर से भी मिलता है। इस मंदिर की बड़ी मान्यता है। हिंदू धर्म के अनुसार नागेश्वर महाराज नागों के ईश्वर माने जाते हैं। आम दिनों की अपेक्षा नाग पंचमी के दिन इस मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। वैसे, कहते हैं कि सापुतारा का इतिहास भगवान राम के समय से भी है। यहां के लोगों की मानें तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम अपने वनवास के दौरान लंबे समय तक यहां रुके थे।

गर्मियों में सापुतारा का अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस से न्यूनतम 27 डिग्री सेल्सियस  के बीच होता है जबकि सर्दियों में तापमान अधिकतम 16 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। मानसून में यहां साल में औसतन 2500 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। इसीलिए यह हिल स्टेशन मानसून फेस्टिवल के लिए परफेक्ट माना जाता है। यह फेस्टिवल 4 अगस्त से शुरू हुआ जो 3 सितंबर तक चलेगा। इसमें आप नायाब कुदरती नजारों के साथ-साथ मनोहारी गीत-संगीत, लोक संस्कृति और एडवेंचर एक्टिविटी का भी पूरा आनंद ले सकते हैं। इनका बंदोबस्त गुजरात टूरिज्म द्वारा किया गया है।णों में एक नया आकर्षण जुड़ा है यहां पर बना रोप-वे। मात्र 40 रुपये खर्च कर आप सापुतारा की खूबसूरती को देख सकते हैं। यह रोप-वे गवर्नर हिल पर जाने के रास्ते में पड़ता है। इस जॉय राइड से आप सीधे सनसेट प्वाइंट तक पहुंच सकते हैं। दूर तक फैले पठार और उन पर झुक आए बादल धुनी हुई रुई सरीखे जान पड़ते हैं।

सापुतारा ट्राइबल म्यूजियम: महाराष्ट्र के नजदीक होने के कारण यहां महाराष्ट्र की छाप भी देखने को मिलती है। इस म्यूजियम में डांगी आदिवासी समाज के जीवन को अलग-अलग तरीकों से बड़े ही सुरुचिपूर्ण ढंग से पेश किया  गया है। इसका टिकट मात्र 5 रुपये है।

हनी बी सेंटर: आप जंगल की सैर पर निकले हैं तो जंगल की सौगात से रूबरू होना तो बनता ही है। ऐसे में हनी बी सेंटर देखने जरूर जाएं। यहां प्राकृतिक रूप से शहद बनाने की प्रक्रिया से थोड़ी जान-पहचान कीजिए। आप चाहें तो यहां से शुद्ध शहद खरीद भी सकते हैं।

सापुतारा एडवेंचर पार्क : युवाओं के लिए गवर्नर हिल पर सनसेट पाइंट के पास बना है सापुतारा एडवेंचर पार्क। जहां सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक रॉक क्लाइंबिंग से लेकर ज़िप लाइन जैसी एडवेंचर एक्टिविटी का मजा ले सकते हैं है। इस जगह तक पहुंचने के लिए आपको टेबल प्वाइंट तक जाना होगा। टेबल प्वाइंट के नजदीक ही यह पार्क है। यहां पर पैराग्लाइडिंग भी की जाती है लेकिन लेकिन बारिश में पैराग्लाइडिंग नहीं होती।

ऐसे जाएँ : सापुतारा का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वघई है जो यहां से करीबन 50 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस स्टेशन से पर्यटकों को मुंबई, दिल्ली के अलावा और भी जगहों के लिए आसानी से ट्रेन मिलती है। सापुतारा मुंबई से 250 किमी. की दूरी पर स्थित है तो सूरत से सापुतारा की दूरी 160 किमी. है।

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