इस राज्य ने फिर सबसे अधिक आपराधिक प्रवृत्ति वाले सांसदों को पहुंचाया दिल्ली
कोलकाता टाइम्स :
संसद में सबसे अधिक भागीदारी वाले उप्र ने इस बार पिछले लोकसभा चुनाव से भी अधिक आपराधिक प्रवृत्ति वाले प्रत्याशियों को दिल्ली पहुंचाया है। चुनाव आयोग द्वारा बनाई गई शपथ पत्र की व्यवस्था ने इस हकीकत को बेपर्दा कर दिया है कि उप्र से जीतकर संसद पहुंचे सांसदों में से 56 फीसद पर आपराधिक और गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। करोड़पति प्रत्याशी भी मतदाताओं ने बांहें खोलकर गले लगाए हैं।
निर्वाचन आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव में यह व्यवस्था सख्त कर दी थी कि प्रत्याशियों को अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मुकदमों का उल्लेख करते हुए शपथ पत्र देने होंगे। चुनाव नतीजे आने के बाद एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने उन शपथ पत्रों का विश्लेषण किया है। इससे निष्कर्ष निकला है कि 17वीं लोकसभा में पिछली बार की तुलना में आपराधिक प्रवृत्ति के सांसद कहीं अधिक संख्या में पहुंचे हैं। इस बार 44 (56 फीसद) सांसदों के द्वारा अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए गए हैं, जबकि 2014 में 80 में से 28 (35 फीसद) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए थे।
यही नहीं, गंभीर आपराधिक मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। 37 (47 फीसद) सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि 2014 में यह आंकड़ा महज 22 (28 फीसद) ही था। आपराधिक मामलों में पहले नंबर पर रामपुर सीट से जीते सपा सांसद आजम खां, दूसरे पर घोषी के बसपा सांसद अतुल कुमार सिंह और तीसरे स्थान पर उन्नाव से विजयी हुए भाजपा सांसद स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी हैं। यह अध्ययन 80 में से 79 सांसदों के शपथ पत्र का है, क्योंकि अकबरपुर सांसद देवेंद्र सिंह भोले का शपथ पत्र स्पष्ट नहीं था।