झुग्गी से करोड़पति तक, इन्होने खुद लिखी अपनी किस्मत
किस्मत एक फकीर को शहंशाह बना देती है और शहंशाह को फकीर… ये बातें अक्सर आपने सुनी या पढ़ी होंगी, लेकिन अंबरीश मित्रा की जिंदगी में तो यह ऐसा सच बनकर सामने आईं कि देखने और सुनने वाले हैरान हैं। वह 15 साल की उम्र में घर से भाग गए और दिल्ली में झुग्गी में रहने लगे थे। खाने और रहने के जुगाड़ के लिए वह घर-घर अखबार और मैगजीन बेचते थे।
यही नहीं जब इससे भी काम न चला तो उन्होंने चाय की दुकान में भी काम किया. लेकिन पिछले 5 सालों में वह 10 हजार करोड़ की कंपनी ब्लिपर के मालिक बन चुके हैं। 170 देशों में इसके 6.5 करोड़ यूजर्सस हैं।
अंबरीश के जीवन में एकदम से इतना बड़ा बदलाव चमत्कार ही कहा जाएगा, जो सबकी जिंदगी में नहीं होता। उनकी कहानी स्लमडॉग मिलियनेयर जैसी ही है। दरअसल, अबंरीश कोलकाता में पैदा हुए थे, लेकिन बचपन धनबाद में बीता। पढ़ाई में मन नहीं लगता था। पिता चाहते थे कि बेटा पढ़ लिखकर इंजीनियर बने लेकिन उनका मन सिर्फ कंप्यूटर में ही रमता था। इसी शौक ने उन्हें इतने बड़े मुकाम तक पहुंचाया।
घर छोड़कर चले जाने के बाद एक दिन उन्होंने अखबार में विज्ञापन देखा, जिसमें एक बिजनेस आइडिया मांगा गया था। बस फिर क्या था अंबरीश ने दिमाग दौड़ाना शुरू किया और महिलाओं को मुफ्त इंटरनेट का आइडिया दिया, जो बहुत पसंद किया गया। इसी आइडिया पर उन्हें 5 लाख रुपये का इनाम मिला। इसी पैसे से उन्होंने वूमन इन्फोलाइन शुरू किया।
अंबरीश के मुताबिक, उस समय वह अच्छे लीडर नहीं थे सो मुनाफा नहीं हुआ लेकिन जितने पैसे जुटाए उससे वह इंग्लैंड चले गए। वहां भी एक टेक्नोलॉजी कंपनी शुरू की, लेकिन सफलता नहीं मिली। जितना था सब खर्च हो गया। इसी दौरान बीमा कंपनी भी ज्वाइन की। फिर शराब पीने की लत लग गई। लेकिन इस लत में भी उनकी किस्मत छिपी हुई थी।
वह लंदन के एक पब में उमर तैयब (ब्लिपर के सह संस्थापक) के साथ बैठे थे। आखिरी पैग के लिए काउंटर पर 15 डॉलर रखे और मजाक में कहा, कितना अच्छा होता कि इस नोट से महारानी एलीजाबेथ बाहर आ जातीं। यही मजाक बिजनेस आइडिया बन गया। उमर ने मेरी फोटो ली और उसे महारानी की फोटो पर सुपरइंपोज कर दिया और फिर इसका एप डेवलप किया।
इस तरह ब्लिपर का जन्म हुआ। ब्लिपर ऑगमेंटेड रियलिटी ऐप बनाती है। इसके ऐप काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके 12 जगहों पर ऑफिस हैं। कंपनी 650 करोड़ रुपये निवेश से जुटा चुकी है।