July 5, 2024     Select Language
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कभी देखा है आपने नदी के उपर नदी

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कोलकाता टीमइस : 

प सोंच भी नहीं सकते कि यहां पर बात हम किस विषय पर कर रहे हैं। आपने ये तो सुना ही होगा कि रोड के उपर रोड या घर के उपर घर या फिर ब्रिज के उपर ब्रिज ये तो आपकी सुनी सुनी बातें और जहां तक इसे देखा भी होगा। लेकिन हम आपको अब जो बताने जा रहें हैं शायद आप सुन कर यकीन ही न कर पाए। यहां पर हम बात कर रहे हैं नदी के उपर नदी कि जिसमें नौका तक चलती है।

दरअसल यह कोई कुदरती करिश्मा नहीं है बल्कि इंजीनियरों की सोच का परिणाम है। जर्मनी में मैगडेबर्ग में एक वाटर ब्रिज है और इस ब्रिज की रूप रेखा इसे दुनिया के सभी ब्रिज से अलग करती है। जर्मनी में स्थित यह अनोखा मैगडेबर्ग वाटर ब्रिज दुनिया का सबसे लंबा नौगम्य कृत्रिम जलसेतु है तथा इसकी लंबाई करीबन 918 मीटर है। यह एल्बे रिवर के ऊपर बनाया गया है तथा यह बर्लिन के निकट मैगडेबर्ग शहर में स्थित है। जहां अन्य नौगम्य जलसेतु एक बार में केवल कुछ छोटी बोट को ही ले जाने में सक्षम हैं, वहीं इस जलसेतु में एक बार में ही सैकड़ों बड़े मालवाहक आसानी से आ.जा सकते हैं।

यह नदी एक प्रकार का रास्ता है जो पूर्वी पूर्वी व पश्चिमी जर्मनी में माल के परिवहन के लिए बनाया गया यह मैगडेबर्ग वाटर ब्रिज मुख्य रूप से बडे कर्मशियल शिप द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। इस वाटर ब्रिज के कारण शिप्स को ओरिजनल एल्बे रिवर रूट के कारण लगने वाले 12 किलोमीटर के चक्कर से राहत मिल जाती है। एल्बे रिवर में पानी का कम स्तर होने के कारण कभी.कभी पूरी तरह से लोडेड नौकाओं को काफी रुकावटों का सामना करना पड़ता था।

इस सेतु का निर्माण कार्य वैसे तो साल 1930 में ही शुरू हो गया था लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध व शीत युद्ध के कारण इसके निर्माण कार्य को बीच में ही छोड़ना पड़ा। बाद में जर्मनी के एकीकरण के बाद इस वाटर ब्रिज का निर्माण कार्य एक बार फिर से जर्मनी की प्राथमिकताओं में शुमार हो गया। इसे बनाने में करीबन 500 मिलियन यूरो की राशि का खर्च आया तथा अक्टूबर 2003 में इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गयाण् आज यह ब्रिज बड़े.बड़े शिप्स के लिए तो वरदान साबित हो ही रहा है, साथ में आम लोग भी आसानी से इसका लुत्फ उठा रहे हैं।

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