मौत के बाद : कही पशुओं से नोचाते तो कहीं कच्चा खा जाते
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कोलकाता टाइम्स :
प्रथाओं को लेकर हमेशा से ही हर जगह कलह देखने को मिलती है। सती प्रथा, खतना प्रथा, दो शादी आदि ऐसी ही प्रथाएं है जो आज हमे पूरी दुनिया में देखने को मिलती है। ये ऐसा प्रथाए है जिनके बारे में सुनकर ही अजीब सा अहसास होता है। लेकिन हम आपको बता दे कि दुनिया में केवल ये ही ऐसी प्रथाएं नहीं है जिन्हे कुप्रथा कहा जाता है। बल्कि कई ऐसी प्रथाएं भी है जिनके बारे में सुनकर रूह कांप जाती है। आज हम आपको कुछ ऐसी ही अजीब प्रथाओं के बारे में बताने जा रहे है। जोकि अपने आप में एक कुप्रथा कही जा सकती है।
* एक प्रथा के अंतर्गत लोग मृत इंसान के किसी करीबी की गला घोट कर मृत्यु कर देते है। इसको लेकर लोगों का यह मानना है कि मृतक को दूसरी दुनिया में अकेला नहीं जाना चाहिए और उसके साथ उसके किसी करीबी को भी भेजना चाहिए।
* नास्तिक लोगों की एक बड़ी बिरादरी एक अनोखी प्रथा को मानती है। इसके अनुसार लोग अपने मृत रिश्तेदारों के शवों को उनके गांव के किसी पेड़ से लटका देते थे। ये प्रथा अधिकांशत: ऐसे लोग मानते हैं जो धर्म के अनुसार नहीं चलते और नास्तिक होते हैं।
* द्वीपीय देश मेडागास्कर के मलागासी लोगों में अंतिम संस्कार की एक प्रथा होती है। इसमें समय-समय पर मृतक के करीबी, उसके शव को कब्र में से निकाल देते हैं और उसे साफ कपड़े चढ़ा कर उसके आस-पास नृत्य करते हैं। वे लोग इस प्रथा के जरिए अपने पूर्वजों को याद करते हैं और शव को गांव में घुमाकर फिर से दफना दिया जाता है।
* पापुआ न्यू गिनी और ब्राजील के कुछ इलाकों में मृतक के करीबी उसकी मृत्यु के बाद उसके शरीर को खा लेते थे। वैसे इस प्रथा पर अब विराम लग चूका है। दरअसल यहाँ खाने की कमी के चलते ये लोग ऐसा करते थे।
* एक प्रथा के मुताबिक मृत्यु के बाद शरीर को साफ-सफाई कर पारसियों के धार्मिक स्थान, “साइलेंस ऑफ टॉवर” में गिद्धों के लिए छोड़ देते हैं। इस प्रथा का का महत्व ये है कि मरने के बाद इंसान को उसके मानवीय शरीर को त्याग देना चाहिए।
* तिब्बत, किंघई और इनर मंगोलिया के इलाकों में आज भी एक ऐसी प्रथा का पालन किया जाता है। जहाँ व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शरीर को छोटे टुकड़ों में काट कर पहाड़ की चोटी पर रख दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जानवर, पक्षी इसका सेवन कर सके। इन लोगो का मानना है कि मरने के बाद इंसान के शरीर का कोई काम नहीं होता है।