बिना बुखार के भी हो सकता है डेंगू, ऐसे करे पता
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कोलकाता टाइम्स :
जी हां, ऐसा भी सम्भाव हैं जब बिना बुखार के भी डेंगू हो सकता है। जिसे एफेब्रिल डेंगू (Afebrile Dengue) कहा जाता है। यह डेंगू बुखार से ज्यादा खतरनाक है क्योंकि लक्षण न होने के कारण मरीज इसे साधारण थकान या वायरल समझ लेता है। ऐसी स्थिति में डेंगू बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि
क्या होता है ‘एफेब्रिल डेंगू’ ‘एफेब्रिल डेंगू’ यानी बिना बुखार वाला डेंगू। मधुमेह के मरीज़ों, बूढ़े लोगों और कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों में इस तरह का डेंगू होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे मरीज़ों को बुखार तो नहीं होता, लेकिन डेंगू के दूसरे लक्षण ज़रूर होते हैं। ये लक्षण भी इतने हल्के होते हैं कि मरीज इस ओर ध्यान ही नहीं दे पाता। लापरवाही की वजह से कई बार वो डॉक्टर के पास भी नहीं जाते। ‘एफेब्रिल डेंगू’ के लक्षण इस तरह के डेंगू में बहुत हल्का इंफेक्शन होता है। मरीज़ को बुखार नहीं आता, शरीर में ज़्यादा दर्द नहीं होता, स्किन पर भी किसी तरह का दाग या चकते नजर नहीं आते हैं। कई बार मरीज़ को लगता है कि उसे नॉर्मल वायरल हुआ है, लेकिन टेस्ट कराने पर उनके शरीर में प्लेटलेट्स की कमी, व्हाइट और रेड ब्लड सेल्स की कमी होती है।
ये लोग रहे जरा बचके : बुज़ुर्गों, छोटे बच्चों कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों मधुमेह के मरीज़ कैंसर के मरीज़ या जिनका ट्रांसप्लांट हुआ हो
इस मौसम में रहें सावधान : विशेषज्ञ मानते हैं कि जुलाई से अक्टूबर के दौरान अगर किसी को शरीर में दर्द, थकान, भूख ना लगना, हल्का-सा रैशेज, लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्या हो, लेकिन बुखार की हिस्ट्री ना हो, तो वो बिना बुखार वाला डेंगू या एफेब्रिल डेंगू भी हो सकता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। अगर मरीज़ सही समय पर प्लेटलेट्स चेक नहीं कराता, तो दिक्कत हो सकती है।
क्या होता है ‘एफेब्रिल डेंगू’ ‘एफेब्रिल डेंगू’ यानी बिना बुखार वाला डेंगू। मधुमेह के मरीज़ों, बूढ़े लोगों और कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों में इस तरह का डेंगू होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे मरीज़ों को बुखार तो नहीं होता, लेकिन डेंगू के दूसरे लक्षण ज़रूर होते हैं। ये लक्षण भी इतने हल्के होते हैं कि मरीज इस ओर ध्यान ही नहीं दे पाता। लापरवाही की वजह से कई बार वो डॉक्टर के पास भी नहीं जाते। ‘एफेब्रिल डेंगू’ के लक्षण इस तरह के डेंगू में बहुत हल्का इंफेक्शन होता है। मरीज़ को बुखार नहीं आता, शरीर में ज़्यादा दर्द नहीं होता, स्किन पर भी किसी तरह का दाग या चकते नजर नहीं आते हैं। कई बार मरीज़ को लगता है कि उसे नॉर्मल वायरल हुआ है, लेकिन टेस्ट कराने पर उनके शरीर में प्लेटलेट्स की कमी, व्हाइट और रेड ब्लड सेल्स की कमी होती है।
ये लोग रहे जरा बचके : बुज़ुर्गों, छोटे बच्चों कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों मधुमेह के मरीज़ कैंसर के मरीज़ या जिनका ट्रांसप्लांट हुआ हो
इस मौसम में रहें सावधान : विशेषज्ञ मानते हैं कि जुलाई से अक्टूबर के दौरान अगर किसी को शरीर में दर्द, थकान, भूख ना लगना, हल्का-सा रैशेज, लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्या हो, लेकिन बुखार की हिस्ट्री ना हो, तो वो बिना बुखार वाला डेंगू या एफेब्रिल डेंगू भी हो सकता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। अगर मरीज़ सही समय पर प्लेटलेट्स चेक नहीं कराता, तो दिक्कत हो सकती है।
बुखार ना हो तब भी रहें सावधान : कई बार जब डेंगू का मच्छर काटता है तो वो खून में बहुत कम वायरस छोड़ता है। इसलिए डेंगू के लक्षण भी बहुत हल्के होते हैं। वायरस की मात्रा के अनुसार ही लक्षण नजर आते हैं। कई बार वायरस इतना कम होता है कि लक्षण नाममात्र के होते है पर भीतर ही भीतर वह शरीर में फैलता रहता है (Afebrile Dengue) , जिससे प्लेटलेट्स कम होते जाते हैं और यह स्थिति खतरनाक हो सकती है।