‘फ्लू का टिका नहीं, चाहे चले जाये बच्चों की जान!’ ब्रिटेन के मुस्लिमों की रोक पर हैरान दुनिया
कोलकाता टाइम्स :
धर्म के नाम लोग कितने अंधे हो जाते हैं के उन्हें अपने अपनों की जान की भी परवाह नहीं रहती।जिसका तजा उदहारण ब्रिटेन में देखने को मिला रहा है ,जहाँ मुस्लिम समुदाय धर्म के वजह से छोटे बच्चों को जिंदगी से खेल रहे हैं। उन्हें सुरक्षित जीवन देने के लिए लगाए जाने वाले टीके लगाने में भी संगठनों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। फ्लू जैसी बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए इन दिनों ब्रिटेन में राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है मगर यहां मुस्लिम समुदाय के लोग अपने बच्चों को इस राष्ट्रव्यापी फ्लू वैक्सीन ड्राइव में भाग लेने से ही मना कर दे रहे हैं, वो बच्चों को टीका नहीं लगवा रहे हैं, इसके पीछे उनका तर्क है कि ये इलाज उनके धर्म में हलाल नहीं है।
उनका कहना है कि नाक में स्प्रे करके जिस तरह से बच्चों की नाक में फ्लुएंट टेट्रा का स्प्रे किया जाता है उसमें जिलेटिन होता है, इसे हराम माना जाता है। उधर ब्रिटेन की मुस्लिम काउंसिल का कहना है कि जब तक किसी की जान जोखिम में नहीं होती है तब तक उसकी नाक में किसी तरह का स्प्रे करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इससे पहले भी जब यहां एक बार टीकाकरण अभियान शुरु किया गया था, उस समय भी इस तरह की बात को लेकर एक बार बहस हो चुकी है।
जबकि ब्रिटेन की मुस्लिम काउंसिल ने कहा कि टीका स्प्रे की अनुमति केवल तभी दी जाएगी जब कोई विकल्प न हो और जान जोखिम में हो। अगले महीने, इंग्लैंड में 2 से 10 साल तक की उम्र के प्रत्येक स्वस्थ बच्चे को इस बीमारी से बचाने और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए फ़्लेंन टेट्रा दिए जाने की योजना है।
बताया जाता है कि स्प्रे की जगह पर एक इंजेक्शन के माध्यम से ये टीका लगाए जाने की सुविधा है मगर उसे नहीं लगाया जा रहा है। इंजेक्शन में पोर्क जिलेटिन शामिल नहीं है, उसे हराम माना जाता है, मगर इस इंजेक्शन को सिर्फ उन्हीं बच्चों को दिया जाता है जिनको उच्च जोखिम होता है। इंजेक्शन के विकल्प को कम प्रभावी कहा जाता है क्योंकि यह फ्लू फैलाने को कम करने के लिए काम करता है। इसके लिए दो खुराक की आवश्यकता होती है।