January 31, 2025     Select Language
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पहाड़ में उगने वाला यह पौधा देगा नया जीवन 

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कोलकाता टाइम्स :

टामांसी कश्मीर, भूटान, सिक्किम और कुमाऊं जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में अपने आप उगती है। इसे ‘बालछड़’ के नाम से भी जाना जाता है। जटामांसी ठण्डी जलवायु में उत्पन्न होती है। इसलिए यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती। इसे जटामांसी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसकी जड़ में बाल जैसे तन्तु लगे होते हैं।

लाभ:

1. इसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है। 

2. इसके काढ़े को रोजाना पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। 

3. जटामांसी की जड़ को गुलाबजल में पीसकर चेहरे पर लेप की तरह लगायें. इससे कुछ दिनों में ही चेहरा खिल उठेगा।
जटामांसी चबाने से मुंह की दुर्गन्ध नष्ट होती है। 

4. हाथ-पैर कांपने पर या किसी दूसरे अंग के अपने आप हिलने पर जटामांसी का काढ़ा 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोज सेवन करें। 

5. जटामांसी का काढ़ा बनाकर 280 से 560 मिलीग्राम सुबह-शाम लेने से टेटनेस का रोग ठीक हो जाता है। 

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