July 5, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म

जगत की आत्‍मा का ऐसे करें पूजन, हर कष्ट होगा दूर

[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स : 

सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है, यह एक सर्वमान्य सत्य है। वैदिक काल में आर्य सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता-धर्ता मानते थे। सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक अर्थात यह सर्व प्रकाशक, सर्व प्रवर्तक होने से सर्व कल्याणकारी हैं। वेदों में भी पूजित सूर्य की आराधना रविवार को करने से विशेष लाभ प्राप्‍त होता है।

ऋग्वेद के देवताओं में सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है। यजुर्वेद ने भी “चक्षो सूर्यो जायत” कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है। छान्दोग्यपनिषद में सूर्य को प्रणव निरूपित कर उनकी ध्यान साधना से पुत्र प्राप्ति का लाभ बताया गया है। ब्रह्मवैर्वत पुराण तो सूर्य को परमात्मा स्वरूप मानता है। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र सूर्य परक ही है। सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उतपत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है, और उन्ही को संपूर्ण जगत की आत्मा तथा ब्रह्म बताया गया है। सूर्योपनिषद की श्रुति के अनुसार संपूर्ण जगत की सृष्टि तथा उसका पालन सूर्य ही करते है। सूर्य ही संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं।

इन सब बातों को देखते हुए कोई आश्चर्य नहीं है कि वैदिक काल से ही भारत में सूर्योपासना का प्रचलन रहा है। पहले यह सूर्योपासना मंत्रों से होती थी। बाद में मूर्ति पूजा का प्रचलन हुआ। इसके बाद विभिन्‍न स्‍थानों पर सूर्य मन्दिरों का निर्माण हुआ। भविष्य पुराण में ब्रह्मा विष्णु के मध्य एक संवाद में सूर्य पूजा एवं मन्दिर निर्माण का महत्व समझाया गया है। अनेक पुराणों में यह आख्यान भी मिलता है, कि ऋषि दुर्वासा के शाप से कुष्ठ रोग ग्रस्त श्री कृष्ण पुत्र साम्ब ने सूर्य की आराधना कर इस भयंकर रोग से मुक्ति पायी थी।

Related Posts