चीनियों की करतूत, जिंदा आदमियों के अंग निकालते हैं, ले ली 65000 लोगों की जान
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कोलकाता टाइम्स :
चीन में अक्सर इंसानों के उपर की जाने वाली यातनाओं की खबर आपने सुनी होगी। लेकिन ताजा मामला जो सामने आया है उसे सुनकर आपकी रूह कांप जायेगी। चीन में इंसानी अंगों के प्रत्यर्पण के लिए अमानवीयता की हदों को पार किया जा रहा है।
दरअसल चीन में ऑर्गन हार्वेंस्टिंग का व्यवसाय काफी फल-फूल रहा है। इस व्यवसाय में जिंदा आदमियों के अंगों को निकालकर दूसरे व्यक्तियों में ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। इस काम के लिए चीन में मुख्य रूप से फैलन गोंग आध्यात्मिक संस्था को मानने वाले लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। फैलन गोंग के कैदियों को चीन में अंगों के प्रत्यपर्ण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इस मामले को उजागर करने के लिए एक किताब लिखी गयी जिसके लेखक इथन गटमैन ने 4 द्रीपों के 100 से ज्यादा लोगों का साक्षात्कार लिया। इस रिपोर्ट के अनुसार फैलन गोंग के 65000 लोगों को 2000 से 2008 के बीच अंगों के लिए मौत के घाट उतार दिया गया। इस भयावह कृत्य के खिलाफ फेसबुक पर भी अभियान चलाया जा रहा है।
इस मामले को उजागर करने के लिए एक किताब लिखी गयी जिसके लेखक इथन गटमैन ने 4 द्रीपों के 100 से ज्यादा लोगों का साक्षात्कार लिया। इस रिपोर्ट के अनुसार फैलन गोंग के 65000 लोगों को 2000 से 2008 के बीच अंगों के लिए मौत के घाट उतार दिया गया। इस भयावह कृत्य के खिलाफ फेसबुक पर भी अभियान चलाया जा रहा है।
इस भयावह कृत्य को दिखाने के लिए ह्यूमन हार्वेस्ट नाम की एक डॉक्युमेंट्री फिल्म भी बनायी गयी है जिसे पीबॉ़डी अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे एक महिला खुद कहती है कि मुझे नहीं पता था अंगो के प्रत्यर्पण के लिए इतना अमानवीय तरीका अपनाया जाता है। यह महिला अपने अंग के प्रत्यर्पण के लिए अस्पताल में आती है जहां वह कहती है कि मेरे अंग बदले जाने के बाद भी जिस व्यक्ति ने अपना अंग दिया था वह जिंदा था। सामान्य परिस्थिति में अंगों के प्रत्यर्पण के लिए मृत व्यक्ति का ही अंग लिया जाता है। साथ ही जिन व्यक्तियों का ब्रेन डेड हो गया हो उन्ही का अंग प्रत्यर्पित किया जा सकता है।