शरीर के इस अंग को लेकर गजब की ये 3 मान्यताएँ शायद ही सुना होगा
कोलकाता टाइम्स :
अंग्रेज समाजशास्त्री वेरियर एल्विन ने अपनी पुस्तक ‘मिथ्स ऑफ मिडिल इंडिया’ में जिस तरह गुप्तांगों के बारे में आदिवासी समुदाय में मौजूद मान्यताओं के बारे में लिखा था। उसी प्रकार उन्होंने भगनासा से जुड़ी मान्यताओं को भी बताया है। ‘यौनांगों को लेकर अजब-गजब मान्यताओं’ की इस कड़ी में हम आपको विभिन्न समुदायों में भगनासा से जुड़ी मान्यताओं के बारे में बता रहे हैं।
1. मंडला के बैगा समुदाय में में पहले औरतो को भगनासा नहीं होती थी। इसी सम्बन्ध में एक खानी प्रचलित है की एक बार एक महिला नदी में मछलियां खोज रही थी तब एक केकड़े ने उस पर हमला कर दिया और उसकी योनि को अपने जबड़े में भर लिया। महिला दर्द से चिल्लाने लगी तभी उसकी चीख सुनकर मछँदर माता ने उसे कहा की केंकड़े के जबड़े को पकड़कर बाकी शरीर को बाहर खींच लो। उसके जबड़े को योनि में ही लगा रहने दो। यह संभोग के दौरान उतना ही आनंद देगा, जितनी अभी तकलीफ हुई है। औरत ने ऐसा ही किया और उसी स्थिति में गांव लौट आई। जब लोगों ने उसकी हालत देखी तो उस पर खूब हंसे। तब उसने मछंदर माता की बात सबको बताई तो गांव की हर औरत की योनि में केंकड़े का जबड़ा उग आया। ऐसा माना जाता है कि तभी से भगनासा की उत्पत्ति हुई।
2. बस्तर के मारिया बड़ा हरमामुंडा की एक अलग ही मान्यता है। इस मान्यता के अनुसार जिस समय मानव शरीर का निर्माण हो रहा था, तब निर्माता (महापुरुष) ने हाथ, पांव, सिर, गुप्तांग से लेकर शरीर के अन्य सभी अंग बना लिए, लेकिन फिर भी कुछ सामग्री बच गई। बची सामग्री का क्या उपयोग किया जाए? ऐसा सोचते समय उनकी नजर महिला की योनि पर पड़ी। उन्हें वह नंगी और श्रृंगारहीन दिखी। तो उन्होंने सोचा कि क्यों न बची हुई सामग्री से योनि का श्रृंगार किया जाए। बस फिर क्या था, उन्होंने बिना वक्त गंवाए बची हुई सामग्री से योनि का श्रृंगार कर दिया। फिर यहीं से निर्माण हुआ भगनासा का।
3. मोरिहापट्टा समुदाय में एक मान्यता है कि पुराने जमाने में आदमियों का लिंग बहुत लंबा होता था और उसे कमर में लपेटकर रखना पड़ता था। पुसरूदी नामक महिला को हमेशा भय रहता था कि लिंग की चोट से अविवाहित लड़कियों की हत्या हो सकती है। अत: एक दिन जब वह बुरहा पिन्नू के साथ थी, उसने बिरहा के लिंग को लकड़ी की चम्मच से काट दिया। ऐसा माना जाता है कि कटने के बाद लिंग वर्तमान लंबाई का हो गया। तब से यह ऐसा ही है।