यहां गलती से भी गंगाजल डाल दिया तो भारी तबाही!
मणिमहेश यात्रा के अहम पड़ाव गौरीकुंड की अहमियत महिलाओं के लिए बेहद खास है। यह वो जगह है, जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी। मणिमहेश यात्रा के दौरान इस स्थान पर केवल महिलाओं को ही जाने और स्नान करने की इजाजत है।
मान्यता है कि यदि कोई महिला इस कुंड में गंदे वस्त्रों से स्नान करे या वस्त्र कुंड में फेंक दे तो कुंड का पानी सूख जाता है। दावा है कि गंगाजल लेकर कोई श्रद्धालु कुंड के पास से होकर गुजरे तो कुंड का पानी उछाल मारने लगता है। मणिमहेश में स्नान के लिए जाने वाले कई श्रद्धालु अपने साथ गंगाजल लेकर चलते हैं। उनकी इस यात्रा के दौरान गौरीकुंड का पानी उछाल मारता था।
पुजारी ने देखा है ये नजारा…
इसे देखते हुए करीब 18 वर्ष पूर्व गौरीकुंड के लिए दो रास्तों का निर्माण किया गया था। इनमें से एक रास्ता उन श्रद्धालुओं के लिए है, जो गंगाजल लेकर यात्रा नहीं कर रहे, जबकि दूसरा रास्ता गंगाजल के साथ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए है। यह रास्ता गौरीकुंड से काफी दूरी से हो कर गुजरता है।
चौरासी मंदिर के पुजारी पंडित हरिशरण शर्मा ने बताया कि उनके पूर्वज इस बारे में बताते रहे हैं। उन्होंने यह अपनी आंखों से भी देखा है। गौरीकुंड में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। महिलाएं ही यहां पूजा कर सकती हैं। कुंवारी युवतियां माता पार्वती से सुशील और मनचाहा वर मांगती हैं।
जाने क्या है इसकी पौराणिक कथा…
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव ने गंगा को अपनी जटा में बांध लिया था। शिव का स्पर्श पाकर वह पवित्र हो गईं। यह पार्वती को अच्छा नहीं लगा था कि वो हमेशा शिव के साथ रहें। ऐसे में जब इस कुंड के पास के गंगाजल लेकर कोई गुजरे तो पानी में उबाल आ जाता है। पिछले करीब चौदह साल से मणिमहेश यात्रा कर रहे उज्जैन के महाकाल गिरि बताते हैं कि गौरीकुंड मां गौरी की तपस्या का स्थल है।
यहां माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था। यहां मान्यता है कि जो भी महिला माता पार्वती की आराधना करे उसे मनचाहा फल प्राप्त हो सकता है। अतिरिक्त दंडाधिकारी भरमौर विनय धीमान ने कहा कि गौरीकुंड की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रशासन हरसंभव प्रयास कर रहा है। गौरी कुंड में महिला सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है, जो श्रद्धालु महिलाओं को जागरूक कर रही हैं।