आज की फिल्मों में गाने का मन नहीं करता: आशा
देश में दिन दिनों चल रहे रीमिक्स गानों के चलन के प्रति अरूचि जाहिर करते हुए सुप्रसिद्ध गायिका आशा भोंसले ने कहा कि आज की फिल्मों में गाने का उनका मन नहीं करता।
एक कार्यक्रम में आईं आशा भोंसले ने कहा कि आज की फिल्मों में गाने का मन नहीं करता क्योंकि आज के गानों में श्रृंगार नहीं होता और गाने बोल के केवल डांस पर टिके रहते हैं।
उन्होंने कहा कि आज के गानों से, मिठास घोलने वाली उर्दू तो गायब ही हो गई है जबकि हिन्दी को भी बिगाड़ा जा रहा है। आशा ने कहा कि पहले के गानों में भावनाओं और बोलों का खूबसूरत सामंजस्य होता था जिसके कारण आज भी उन गानों को चाव से सुना जाता है। उन्होंने कहा कि बोल अच्छे हों और गाना अच्छा हो तो गाना गाने को मन करता है।
उन्होंने कहा कि गाना वही अच्छा होता है जो लोगों की भावनाओं को छू ले जबकि आज के गानों में भावनाओं का अभाव है। उनकी उत्ताराधिकारी के बारे में पूछे जाने पर आशा भोंसले ने कोई भी जवाब देने से इंकार कर दिया और कहा इसके बारे में आप लोग ही निर्णय ले सकते हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में आशा भोंसले ने कहा कि उन्होंने पहले के मुकाबले अब गाना कम नहीं किया है बल्कि वे पहले की अपेक्षा आज ज्यादा गाने गा रही हैं। आज देश में विभिन्न चैनलों पर चल रहे प्रतिभा खोज अभियान के बारे में पूछे जाने पर आशा भोंसले ने कहा कि इसके जरिए नई प्रतिभाएं तो सामने आ रही हैं लेकिन लोग आज बिना गाना सिखाए बच्चों को ऐसे कार्यक्रमों में उतार देते हैं जिससे वे बच्चे पूर्व में गाए गानों को तो गा देते हैं लेकिन नए गाने गाने में उन्हें दिक्कत होती है।
उन्होंने कहा कि आज के गायकों में रियाज का अभाव है जबकि शास्त्रीय गाना गाने वाले लोग रियाज के बिना गा ही नही सकते। उन्होंने कहा कि वह स्वयं आज भी चार घंटे रियाज करती हैं। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में आशा भोंसले ने कहा कि वे नहीं मानती कि भारत में संगीत का स्वर्ण युग बीत चुका है और यह कभी वापस नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि यह एक जीवनचक्र है और कभी न कभी कोई ऐसा संगीतकार जरूर आएगा जिसकी मेहनत से संगीत का अच्छा युग फिर वापस आ जाएगा।