परफ्यूम लगाकर खुशबु नहीं दुनिया में ऐसे प्रदूषण फैला रहे हैं
कोलकाता टाइम्स :
अगर आप इत्र लगाने के शौकीन हैं तो आपको थोड़ा सावधान होने की जरूरत है। मानव निर्मित इत्र के कुछ अणुओं में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की क्षमता होती है। इनका लंबे बाद असर हमारे परिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता है।
नहरों के शहर, वेनिस पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। शोधकर्ताओं ने सुगंध वाले अणुओं का पता लगाने के लिए दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले साबुन, डिटर्जेट, शैंपू और कई व्यक्तिगत स्वच्छता वाले उत्पादों की वेनिस की नहरों में जांच
निष्कर्ष में यह सामने आया कि आवास वाले क्षेत्रों से ज्यादा दूरी वाले इलाकों में सुगंध वाले अणुओं की मात्रा शहर के अंदर की नहरों की तुलना में 500 गुना ज्यादा रहा। अध्ययन में खुलासा हुआ कि पानी के कम प्रवाह वाले क्षेत्र से जुटाए गए नमूनों में अनुपचारित अपशिष्ट पानी की तुलना में बराबर मात्रा देखने को मिली।
इटली के वेनिस विश्वविद्यालय के पोस्ट डॉक्टोरल छात्र, मार्को वेक्कियाटो ने कहा कि यह अध्ययन पुष्टि करता है कि वेनिस की नहरों में सुगंधित पदार्थ लगातार छोड़े जा रहे हैं, जो कम और कभी ज्यादा प्रवाह से ऐतिहासिक केंद्र और झीलों में जा रहे हैं।
झील के पानी में मौजूद ज्यादातर यौगिकों में बेंजिल सेलिसिलेट पाया जा रहा है। इसका इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन सामग्रियों में सुगंध लाने के लिए किया जाता है। यह पराबैंगनी किरणों को शोषित करने और त्वचा में जलन की समस्या पैदा करता है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए अप्रैल से दिसंबर 2015 के बीच 22 जगहों से नमूने जुटाए। इनमें वेनिस के ऐतिहासिक केंद्र की अंदर की नहरों, ब्रूनों के द्वीप और उत्तरी झील के दो स्थानों से बार-बार नमूने लिए गए। अध्ययन के निष्कर्ष पत्रिका ‘साइंस ऑफ दि टोटल इनवायरमेंट’ में प्रकाशित किए गए।