July 1, 2024     Select Language
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बच्चे का पढ़ाई ना करने से हैं परेशान तो जरूर अपनाये यह वास्‍तु टिप्स 

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कोलकाता टाइम्स :

वास्तु शास्त्र, भारत की प्राचीन वास्तु कला है, जिसका प्रयोग लोग सालों से अपने घर को बनवाने में करते आ रहें हैं। यह घर के हर पहलू को शामिल करता है फिर चाहे वह आपका रसोई घर हो या बेडरूम।

अगर आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है, और आप अपने बच्चे का कमरा डिजाइन करने जा रहें हैं, तो वास्तु के हिसाब से कराएं।

वास्तु शास्त्र में ऐसे कई सारे तरीके हैं, जिसे अपनाने से आपके बच्चे का मन पढ़ाई में लगेगा और वह अपनी ज़िन्दगी में सफल व्यक्ति बनेगा। तो आईये जाने कुछ ऐसी ही वास्तु टिप्स ।

पढ़ने का कमरा : घर में बच्चों का कमरा पूर्व, उत्तर, या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में बच्चे का कमरा होने उसके ज्ञान में विर्धि होती है। और कमरे का दरवाज़ा भी इसी दिशा में खुलना चाहिए। पढाई के कमरे में यह ना करें घर में बच्चों का कमरा कभी भी शौचालय के नीचे नहीं होना चाहिए। इसके अलावा यह ध्यान रखे कि पढ़ते वक़्त शीशे की प्रतिच्छाया किताबों पर ना पड़े, इससे बच्चे के ऊपर पढ़ाई का दबाव बनता है।

पढ़ाई के कमरे में रोशनी बच्चों के पढ़ाई के कमरे में अच्छी रोशनी होनी चाहिए। जितना हो सके घूप या प्राकृतिक उजाला होने चाहिए। अगर बच्चे के पढ़ाई के कमरे में कम रोशनी होगी तो उसका असर उसकी पढाई पर दिखेगा, इसलिए पढ़ाई के कमरे में अच्छा उजाला होना चाहिए, और पढ़ते वक़्त बच्चे की परछाई किताबों पर नहीं पड़नी चाहिए।
एकाग्रता बढ़ाने के लिए एकाग्रता को बढ़ाने के लिए पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके पढ़ाई करें। और किसी दीवार, फर्नीचर या खुली अलमारी का सहारा ना लें इससे एकाग्रता भंग होती है।

साफ-सफाई रखें हमेशा अपनी पढ़ाई की टेबल को साफ़ रखें। इस पर हर वक़्त किताबें ना फैलाएं। इसके अलावा ध्यान रहे कि आपकी पढ़ाई की टेबल दीवार की तरफ ना हो। और टेबल, या बच्चे के बिस्तर के पास सरस्वती की मूर्ति रखें। इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा होती है। भाग्य और विचारों के लिए वास्तु के अनुसार बच्चों की पढ़ाई की टेबल पर स्टडी लैंप होना चाहिए। इससे बच्चे की एकाग्रता में सुधार होता है और मन पढ़ाई में लगता है। पढ़ाई की जगह पर खुली जगह होनी चाहिए इससे बच्चे के मन में नए विचार आतें हैं।

कमरे की सजावट बच्चे को प्रेरणा देने के लिए, दौड़नेवाले घोड़ों की तस्वीर लगाएं, या उगते हुए सूरज की तस्वीर लगाये, यह फिर विद्या की देवी सरस्वती जी की तस्वीर लगाएं। आप बच्चे के सर्टिफकेटेस और ट्रिफिएस भी उसके कमरे की दक्षिण में सजा सकते हैं। ध्यान रहे किसी भी तरह के हिंसा या दु:ख देने वाली तस्वीर ना लगाये इससे बच्चे के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।

ध्यान रहे बाथरूम का दरवाज़ा बिस्तर के उलट ना हो। फेंग शुई और वास्तु शास्त्र दोनों में यह बताया गया है कि बाथरूम बेडरूम की सारी ऊर्जा को खीच लेता है।

कमरा हमेशा चौकोर या आयताकार आकार में होना चाहिए, वर्ग / आयत चारों दिशाओं को दर्शाता है और पांच तत्वों को संतुलित रखता है।

दीवार का रंग : बच्चों के कमरे की दिवार का रंग हरा होना चाहिए इससे उनका दिमाग और मन दोनों ही शांत रहते हैं। ब्लू रंग उन बच्चों के लिए हैं जो बहुत ज्यादा हाइपरैक्टिव या क्रोधी होते हैं। बच्चों के कमरे में गहरे रंग लगाने से बचें।

बच्चे के कमरे में फर्नीचर : किसी भी तरह का फर्नीचर दीवार से कुछ इंच की दूरी पर रखें इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। और बिस्तर बॉक्स की बजाये ठोस लकड़ी का होना चाहिए।

बच्चे की पढ़ने की टेबल : पूर्व या उत्तर-पूर्व की तरफ होनी चाहिए, और बेडरूम में लाइट दक्षिण पूर्वी दिशा में होनी चाहिए इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा होती है।

कमरे में सफाई : कमरे में धूल और अव्यवस्था नकारात्मकता फैलाती है। इसलिए महीने में एक बार कमरे को अच्छे से साफ़ करे और सारी गंदगी को बाहर फेक दें।

वेंटिलेशन का ख्याल रखें : कमरे में ताजा हवा बहुत महत्वपूर्ण है। एक चौथाई इंच की भी खुली खिड़की विषाक्त पदार्थों को बाहर रखेगी।

किताबें : कुछ माता पिता किताबों की अलमारी पढ़ाई की टेबल के ऊपर ही बना देते हैं यह नहीं करना चाहिए, वास्तु के हिसाब से इससे बच्चे के ऊपर पढ़ाई का दबाव बनता है।

गैजेट से बचें : बच्चों के बेडरूम में टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रखने से बचें। लेकिन आजकाल के सिनेरियो को देखते हुए यह जरुरी हो गया है। इस लिए अगर कंप्यूटर रखना है तो उसके लिए दक्षिण पूर्वी कोना होना चाहिए। और टीवी के लिए उत्तर पश्चिमी कोना ठीक रहेगा।

बैठने की व्यवस्था : कैरियर में आगे बढ़ने के लिए वह कुर्सी लें जिसका बैक ऊँचा हो। तेज धार और अनियमित आकार के फर्नीचर ना लें। टेबल या ऑफिस डेस्क की ऊँचाई नाभि की ऊँचाई तक हो, इससे सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। जितना हो सके लकड़ी के फर्नीचर का प्रयोग करें।

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