July 1, 2024     Select Language
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इन उपायों को आजमाने से बरसेगा धन, कई परेशानी होंगी दूर

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कोलकाता टाइम्स :

शास्त्रो में कुछ ऐसी बातें लिखी है जिसे अपना कर हम सब अपनी परेशानी दूर कर सकते है । जैसे कि बांस की लकड़ी जलाना मना है फिर भी लोग अगरबत्ती जलाते है। जो की बांस की बनी होती है। अगरबत्ती जलाने से पितृदोष लगता है। शास्त्रो में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता सब जगह धुप ही लिखा हुआ मिलता है। पूजा साधना करते समय बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन पर सामान्यतः हमारा ध्यान नही जाता है लेकिन पूजा साधना की द्रष्टि से ये बातें अति महत्वपूर्ण हैं |

सुबह कुल्ला किए बिना पानी या चाय न पीएं। जूठे हाथों से या पैरों से कभी गौ, ब्राह्मण तथा अग्नि का स्पर्श न करें। घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए फूल या हार के सूख जाने पर भी उन्हें घर में रखना अलाभकारी होता है।

काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उतार (उसार) कर घर के उत्तर दिशा में फेंक दें, धनहानि बंद होगी। काले कुत्ते को प्रत्येक शनिवार को कड़वे तेल (सरसों के तेल) से चुपड़ी रोटी खिलाएं। शाम के समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है। सोने से पूर्व पैरों को ठंडे पानी से धोना चाहिए, किन्तु गीले पैर नहीं सोना चाहिए। इससे धन का नाश होता है, भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना

रात में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है। अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात के भोजन में नहीं करना चाहिए।

गणेशजी को तुलसी का पत्र छोड़कर सब पत्र प्रिय हैं | भैरव की पूजा में तुलसी का ग्रहण नही है| कुंद का पुष्प शिव को माघ महीने को छोडकर निषेध है | बिना स्नान किये जो तुलसी पत्र जो तोड़ता है उसे देवता स्वीकार नही करते | रविवार को दूर्वा नही तोडनी चाहिए | केतकी पुष्प शिव को नही चढ़ाना चाहिए | केतकी पुष्प से कार्तिक माह में विष्णु की पूजा अवश्य करें | देवताओं के सामने प्रज्जवलित दीप को बुझाना नही चाहिए | शालिग्राम का आवाह्न तथा विसर्जन नही होता | जो मूर्ति स्थापित हो उसमे आवाहन और विसर्जन नही होता | तुलसीपत्र को मध्याहोंन्त्तर ग्रहण न करें | पूजा करते समय यदि गुरुदेव ,ज्येष्ठ व्यक्ति या पूज्य व्यक्ति आ जाए तो उनको उठ कर प्रणाम कर उनकी आज्ञा से शेष कर्म को समाप्त करें | मिट्टी की मूर्ति का आवाहन और विसर्जन होता है और अंत में शास्त्रीयविधि से गंगा प्रवाह भी किया जाता है |

कमल को पांच रात, बिल्वपत्र को दस रात और तुलसी को ग्यारह रात बाद शुद्ध करके पूजन के कार्य में लिया जा सकता है | पंचामृत में यदि सब वस्तु प्राप्त न हो सके तो केवल दुग्ध से स्नान कराने मात्र से पंचामृतजन्य फल जाता है | शालिग्राम पर अक्षत नही चढ़ता | लाल रंग मिश्रित चावल चढ़ाया जा सकता है | हाथ में धारण किये पुष्प , तांबे के पात्र में चन्दन और चर्म पात्र में गंगाजल अपवित्र हो जाते हैं |पिघला हुआ घृत और पतला चन्दन नही चढ़ाना चाहिए | दीपक से दीपक को जलाने से प्राणी दरिद्र और रोगी होता है | दक्षिणाभिमुख दीपक को न रखे | देवी के बाएं और दाहिने दीपक रखें | दीपक से अगरबत्ती जलाना भी दरिद्रता का कारक होता है |

द्वादशी , संक्रांति , रविवार , पक्षान्त और संध्याकाळ में तुलसीपत्र न तोड़ें | प्रतिदिन की पूजा में सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढाएं |

पौष मास की शुक्ल दशमी तिथि , चैत्र की शुक्ल पंचमी और श्रावण की पूर्णिमा तिथि को लक्ष्मी प्राप्ति के लिए लक्ष्मी का पूजन करें |कृष्णपक्ष में , रिक्तिका तिथि में , श्रवणादी नक्षत्र में लक्ष्मी की पूजा न करें |अपराह्नकाल में , रात्रि में , कृष्ण पक्ष में , द्वादशी तिथि में और अष्टमी को लक्ष्मी का पूजन प्रारम्भ न करें |

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि पीपल उनका ही एक रूप है। यही कारण है कि पीपल की पूजा करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दुखों को दूर करते हैं। पीपल की पूजा करने से गरीबी से छुटकारा मिलता है। इस वृक्ष की पूजा नियमित करने से सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यहां जानिए पीपल की पूजा की सामान्य विधि और कुछ उपाय…

ऐसे कर सकते हैं पीपल की पूजा

जिस दिन पीपल की पूजा करनी है, सूर्योदय के पहले उठें और दैनिक कार्यों के बाद सफेद वस्त्र पहनें। पूजा के प्रारंभ में पीपल की जड़ में गाय का दूध, तिल और चंदन मिला हुआ पवित्र जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद जनेऊ, फूल, प्रसाद और अन्य सामग्री चढ़ाएं। धूप-बत्ती और दीप जलाएं। आसन पर बैठकर या खड़े होकर मंत्र जप करें। अपने इष्ट देवी-देवताओं का स्मरण भी करें।

मंत्र-

मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।

आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।

इस मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है। जप के बाद आरती करें। फिर प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें। पीपल को चढ़ाए हुए जल में से थोड़ा जल घर में छिड़कें। इस प्रकार पीपल की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

ज्योतिष में बताया गया है कि पीपल का पौधा लगाने और उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति की कुंडली के सभी ग्रह दोष शांत हो जाते हैं। जैसे-जैसे पीपल बड़ा होगा, घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती जाएगी। यदि कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित करता है और नियमित रूप से उसकी पूजा करता है, तो सभी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं। इस उपाय से बुरा समय धीरे-धीरे दूर हो जाता है।

शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती और ढय्या के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाना चाहिए। पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

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