शुरू हो गयी कार्तिक माह, गलती से भी ना करे यह काम वरना …
हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक का महीना लग चुका है और ये शास्त्रों के अनुसार बेहद शुभ माना जाता है। इस साल इसकी शुरुआत 23 अक्टूबर, बुधवार से हुई है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार इसी महीने में कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था। इस महीने में पूजा-पाठ, व्रत, त्योहार और दूसरी धार्मिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं।
कार्तिक महीने में व्रत और तप करने का फल कई गुना बढ़ जाता है इसलिए इस दौरान कुछ सावधानी बरतनी भी जरूरी है। जानते हैं कार्तिक माह में किन कामों से आपको लाभ मिल सकता है और किन कामों से बचना चाहिए। नदी में स्नान कार्तिक माह में नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। इस माह में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से धरती के जितने तीर्थ स्थान है, उनका पुण्य मिल जाता है। यदि नदी में स्नान करना मुमकिन ना हो तो गंगाजल मिले जल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
तुलसी पूजा : कार्तिक माह में तुलसी पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है और व्यक्ति को इसका दोगुना सकारात्मक लाभ मिलता है। तुलसी की पूजा और उसका सेवन दोनों ही लाभदायक माने गए हैं। इस माह उगते सूर्य को भी जल अर्पित करें।
दीप जलाएं : इस महीने में रोजाना शाम के समय तिल के तेल से दीपक जलाना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और धन की कमी भी नहीं होती है।
रखें संयम : इस पूरे महीने में व्यक्ति को तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। शराब और धूम्रपान ना करें। मांस-मछली के साथ मट्ठा का त्याग भी कर दें। पलंग पर सोने से परहेज करें। फर्श पर बिस्तर लगा कर सोएं।
द्विदलन की मनाही : कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द की दाल, मूंग दाल, मसूर, चना, मटर, राई आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
दीपदान : धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक इस माह में दीपदान करना बहुत अहम माना गया है। मुमकिन हो तो घर के आसपास किसी नदी, तालाब, पोखर आदि में आप दीपदान कर सकते हैं। इससे पुण्य की प्राप्ति होगी।
ना करें क्रोध : इस महीने में व्यक्ति को शांत चित रहना चाहिए। व्यक्ति को क्रोध और अहंकार से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। तपस्या करने वाले लोगों की तरह अपनी दिनचर्या रखें। कम बोलें और किसी की निंदा ना करें।
ब्रह्मचर्य : इस माह में ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत जरूरी माना जाता है। ऐसा ना करने से पति-पत्नी को दोष लगता है और उन्हें अशुभ फल मिलता है। इस तरह के विचार भी मन में ना आने दें।