कुछ साल ही बाकि, दो करोड़ बांग्लादेशियों को भुगतना पड़ेगा
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![](https://kolkatatimes.co.in/hindi/wp-content/uploads/sites/3/2019/11/sea-bangladesh.jpg)
कोलकाता टाइम्स :
एक नए शोध से पता चला है कि बांग्लादेश के क़रीब दो करोड़ लोगों पर समुद्र का जलस्तर बढ़ने का असर पड़ सकता है। ये असर आने वाले कुछ दशकों में नज़र आएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र का खारा पानी देश के अंदरूनी इलाक़ों में पहुँच सकता है जिससे वहाँ किसानों के लिए फ़सल उगाना मुश्किल हो जाएगा। ये शोध ऐसे समय सामने आया है जब जलवायु वरिवर्तन से पैदा होने वाली परेशानियों से निपटने के लिए बांग्लादेश सरकार की तरफ़ से पाँच अरब डॉलर की अपील सामने आई है। सरकार की योजना है कि इस धन को अगले पाँच वर्षों में ख़र्च किया जाए। याद रहे कि मई में तूफ़ान आईला की वजह से बांग्लादेश में जान-माल का भारी नुक़सान हुआ था और एक बड़े इलाक़े में पानी भर गया था। ये नया शोध बांग्लादेश के सेंटर फ़ॉर इन्वायरेन्मेंट एंड जियोग्राफ़िक इन्फ़ॉर्मेशन सर्विसेज़ या सेजिस की तरफ़ से आया है। शोध का कहना है कि जलस्तर बढ़ने की वजह से हालांकि ज़मीन का एक छोटा हिस्सा ही पानी के नीचे जाएगा, लेकिन हर वर्ष मॉनसून के दौरान देश के दक्षिण-पश्चिम का एक बड़ा हिस्सा डूबा रहेगा।
सेजिस के एक वैज्ञानिक अहमदुल हसन ने बीबीसी को बताया कि बांग्लादेश के सबसे पिछड़े इलाक़ों में समुद्र के खारे पानी के घुसने से चावल की खेती पर असर पड़ सकता है। अहमदुल हसन ने कहा, “हम यहाँ क़रीब दो करोड़ लोगों की बात कर रहे हैं। ये बहुत ही ग़रीब और असुरक्षित लोग हैं. अगर इन लोगों के इलाक़ों में पानी घुसता है, तो चार महीनों तक इन्हें कहीं भी काम नहीं मिलेगा और फिर इन्हें नौकरियों के लिए शहर का रुख़ करना पड़ेगा।” शोधकर्ताओं का कहना है कि निगरानी करने वाले 11 स्टेशनों से जो आंकड़े मिले हैं, वो दिखाते हैं कि पिछले 30 वर्षों में हर वर्ष जलस्तर में पाँच मिलीमीटर की बढ़ोत्तरी हुई है। उनका कहना है कि बढोत्तरी में और तेज़ी होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। बांग्लादेश के आपदा प्रबंधन मंत्री डॉक्टर मोहम्मद अब्दुल रज़्ज़ाक ने कहा कि जिस तरह हॉलैंड में पानी के बढ़ते जलस्तर की वजह से तटबंध बनाए गए हैं। उसी तरह उनके देश में भी तटबंध बनाए जाएं। मोहम्मद अब्दुर रज़्ज़ाक ने कहा, “हमें तटबंधों की ऊँचाई बढा़नी है और इन तटबंधों के लिए हमें नए डिज़ाइन भी चाहिए। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अगले पाँच वर्षों के लिए पाँच अरब डॉलर की मदद की उम्मीद कर रहे हैं.” बांग्लादेश उन विकासशील देशों में से है जो जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने के लिए आर्थिक मदद के लिए मुहिम चला रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन पर होने वाली बैठक में सबसे अमीर देश धन देने की बात पर राज़ी हो जाएंगे।