महेश को आरोपों से मुश्किल
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कोलकाता टाइम्स :
अर्थ, सारांश, नाम और जख्म जैसी गंभीर फिल्में बना चुके महेश भट्ट सिर्फ मसाला फिल्मों के सीक्वल बनाने के आरोप से काफी आहत हैं। इस आरोप के जवाब में उन्होंने कहा है कि दर्शक ढोंगी हैं। वे आगे कहते हैं, अर्थ और सारांश जैसी फिल्में बनती हैं तो उन्हें पूछने या देखने वाला कोई नहीं होता, मगर राज, जन्नत और जिस्म देखने वालों की तादाद से सभी शो हाउसफुल रहते हैं। ऐसे में गंभीर विषयों पर आधारित फिल्में बनाने का क्या औचित्य है? आर्ट फिल्मों के मामले में तकरीबन हर बार लागत तक निकाल पाना मुश्किल होता है। जिस दिन दर्शक आर्ट फिल्में देखना शुरू करेंगे, उस दिन मैं जरूर अर्थ और सारांश का सीक्वल बनाऊंगा। महेश भट्ट की देखरेख में हाल ही में राज-3 की शूटिंग शुरू हुई है, जबकि जिस्म-2 के स्टार कास्ट तय किए जा चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक जन्नत के सीक्वल पर भी काम चल रहा है। ये सभी हार्डकोर मसाला फिल्में हैं। महेश के एक करीबी का कहना है कि फिल्मों का अंतिम तौर पर मकसद दर्शकों का मनोरंजन करना होता है। इसलिए महेश मनोरंजक फिल्में बना रहे हैं। हालांकि फिल्म जगत के अन्य फिल्मकार उनकी बातों से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अब गंभीर विषयों पर आधारित फिल्मों को भी दर्शकों की स्वीकार्यता मिलने लगी है। जिंदगी ना मिलेगी दोबारा ऐसी ही श्रेणी की फिल्म है, जो सफल हुई।