इस कानून की देरी से आधार में लटका पाक हिन्दुओं की शादी
कोलकाता टाइम्स :
दो साल बाद भी आवश्यक नियम तैयार नहीं कर पायी प्रांतीय सरकार। जिस कारन पाकिस्तान के 38 लाख हिंदुयों को भुगतना पड़ सकता है। संघीय सरकार ने खैबर पख्तूनख्वा में सरकारों की सहमति से हिंदू विवाह विधेयक को मार्च 2017 में मंजूरी दी थी और कानून बनाए को कहा था। जो की आज भी नहीं बना। उत्तर पश्चिम पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार द्वारा हिंदू विवाह कानून के मसौदा नियमों में अत्यधिक विलंब से कई युगलों की शादी खटाई में पड़ गई है।
समुदाय के नेताओं ने कहा कि संवैधानिक सुरक्षा के अभाव में कई हिंदू लड़कियां अपने मूल अधिकारों से वंचित हैं जिनकी वो तलाक की स्थिति में हकदार हैं। पाकिस्तान में करीब 38 लाख हिंदू हैं जो आबादी का करीब दो फीसदी है। सूत्रों के मुताबिक संघीय सरकार ने हाल में फिर से खैबर पख्तूनख्वा सरकार को निर्देश दिया कि हिंदू विवाह कानून के नियम जल्द से जल्द तैयार करें।
सूत्रों ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा के धार्मिक एवं अल्पसंख्यक मामलों के विभाग ने संघ सरकार को बताया कि चूंकि मुस्लिम विवाह कानून के तहत गांव और नगर निकाय में विवाह का पंजीकरण खैबर पख्तूनख्वा स्थानीय सरकार द्वारा किया जाता है इसलिए स्थानीय सरकार का उत्तरदायित्व है कि कानून के लिए नियम तैयार करे।
उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक और धार्मिक मामलों के विभाग तथा स्थानीय सरकार के बीच इस मुद्दे पर कई आधिकारिक पत्रों का आदान-प्रदान होने के बावजूद खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हिंदू विवाह कानून के नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। पेशावर के सरपंच हारून सरब दियाल ने कहा कि प्रस्तावित कानून का मसौदा कुछ सामाजिक कल्याण संगठनों और वकीलों की मदद से तैयार किया गया जिसे खैबर पख्तूनख्वा सरकार को सौंप दिया गया लेकिन अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है।