शौक से चिकन खाने वाले इसके खतरा जानेंगे तो भूल जायेंगे खाना
कोलकाता टाइम्स :
पूरे विश्व में मांसाहारी लोगों की संख्या का अनुमान लगाना लगभग असंभव है। लेकिन मांसाहारी लोगों की जिंदगी भी जोखिम भरी होती है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग शाकाहारी होते हैं वह मांसाहारी लोगों से ज्यादा स्वस्थ और लंबी उम्र पाते हैं। मांसाहारी लोगों को ज्यादा भयानक रोग घेर लेते हैं। जबकि भारत में एक तिहाई जनसंख्या शाकाहारी है और वहीं कई जो मांसाहारी लोग हैं, वे बीफ या पॉर्क व चिकन खाना ज्यादा पसंद करते हैं।
क्या आप जानते हैं जिस चिकन को आप मजे ले कर खाते हैं, वह आपकी सेहत पर कितना बुरा असर डालता है। एंटीबायोटिक मिले चिकन को खाने से शरीर की इन दवाओं के अवशेष चले जाते हैं और वे उन दवाओं की ताकत घटा देते हैं। फिर जब भी हम बीमार पड़ते हैं और एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं। तब हमें यह दवाइयां बेअसर लगने लगती हैं क्योंकि यह हमें पूरी तरह से ठीक नहीं करतीं या फिर हम कई दिनों तक बीमारी की हालत में ही पड़े रहते हैं।
हमारे शरीर के लिए सारी एंटीबायोटिक दवाएं बेसर होने लगती हैं क्योंकि मुर्गीपालन उद्योग अपने मुनाफे के लिए यह धंधा बिना किसी डर के चला रहा है। आप ये भी नहीं जान पाते कि एंटीबायोटिक मिले चिकन को खाने से आपकी सेहत पर क्या असर पड़ सकता है। यही नहीं आप अपने आप पर किसी बेकसूर की जान लेने का पाप भी ले लेते हैं।
एंटीबायोटिक: चिकन को खिलाई जाने वाली एंटीबायोटिक, मनुष्यों के लिए बनाई गई दवाई है। जिसको खा कर वह आकार में बड़ी हो जाती हैं और कम चारा खाने लगती हैं। ग्रोथ हार्मोन किया जाता है इस्तेमाल: हो सकता है कि जब भी आप चिकन खरीदने जाते हों, तो आपको वहां मोटी-मोटी मुर्गियां पिंजड़े में रखी हुई दिखाई देती हों। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें हार्मोन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं, जिसका मांस खाने के बाद हमारे शरीर में ग्रोथ हार्मोन जाता है और इसका हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। बैक्टीरिया से संक्रमित: एक स्टडी में पाया गया है कि 97 फीसदी चिकन ब्रेस्ट में इंफेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया पाए जाते हैं। हांलाकि चिकन में प्रयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।