हनुमान जी के जीवन की यह रहस्यमयी बातें
मंगलवार है हनुमान जी का दिन। इस दिन भक्त इन उपायों से हनुमान जी की कृपा पा सकते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा उपाय है हनुमान चालीसा। कहा जाता है कि रात को हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी व्यक्ति के कई दोष दूर होते हैं। इससे शनि के दोष व कई नकारात्मक प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है।
यही नहीं हनुमान चालीसा का पाठ सुबह नहा धोकर मंगलवार या शनिवार के दिन किया जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ बेहद प्रभावशाली है। इसके पाठ से अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि तो आती ही है साथ ही कई नकारात्मक चीजों का भी प्रभाव कम होता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने का सबसे उत्तम समय है सुबह रात के समय। ज्योतिषियों की मानें तो रात को आठ बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि के साढ़े साती में भी राहत मिलती है। कहा जाता है कि हनुमान देव की पूजा करने से शनि देव को प्रसन्न किया जा सकता है। यह भी कहा जाता है कि शनि भगवान हनुमान के भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।
हनुमान के जीवन के कुछ रहस्य ऐसे हैं जिनके बारे में आप शायद न जानते हों
संकटमोचन हनुमान को कौन नहीं जानता, भक्तों के हर कष्ट को बस नाम लेने से ही हर लेते हैं प्रभु। राम भक्त हनुमान को महाबली माना गया है जो अजर-अमर हैं। ये कुछ ऐसी बातें हैं जो हर कोई जानता है लेकिन अंजनी पुत्र हनुमान के जीवन के कुछ रहस्य ऐसे हैं जिनके बारे में आप शायद न जानते हों।
शंकर का अवतार
बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान जी भगवान शंकर का अवतार हैं और वह अपनी माता के श्राप को हरने के लिए पैदा हुए थे।
बजरंगबली का केसरिया रूप
राम भगवान की लंबी उम्र के लिए सीता माता अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं ये बात सुनकर हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया था। तभी से बजरंगबली को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।
कैसे पड़ा नाम हनुमान
अपनी ठोड़ी के आकार की वजह से इनका नाम हनुमान पड़ा। संस्कृति में हनुमान का मतलब होता है बिगड़ी हुई ठोड़ी।
ब्रह्मचारी हनुमान पिता भी हैं
शास्त्र के अनुसार राम भक्त हनुमान को सभी ब्रह्मचारी के रूप में जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका मकरध्वज नाम का एक बेटा भी था।
राम ने दी हनुमान को मौत की सजा
एक बार भगवान राम के गुरु विश्वामित्र किसी कारणवश हनुमानजी से गुस्सा हो गए और उन्होंने प्रभु राम को हनुमान जी को मौत की सजा देने को कहा था। भगवान राम ने ऐसा किया भी क्योंकि वह गुरु को माना नहीं कर सकते थे लेकिन सजा के दौरान हनुमान जी राम नाम जपते रहे और उनके ऊपर प्रहार किए गए सारे शस्त्र विफल हो गए।
हनुमानजी ने लिख दी थी रामायण
रामायण के अनुसार लंका कांड शुरू होते ही हनुमान जी ने हिमालय जाकर वहां के पहाड़ों पर अपने नाखूनों से रामायण लिखनी शुरू कर दी थी। जब रामायण लिखने के बाद बाल्मीकि जी को ये पता चला तो वह हिमालय गए और वहां पर लिखी रामायण पढ़ी।
जब प्रभु राम की मृत्यु का अर्थ हनुमानजी को समझाना पड़ा
प्रभु राम जानते थे कि उनकी मृत्यु को हनुमानी स्वीकार नहीं कर पाएंगे और इस कारण से कहीं वह धरती पर उथल-पुथल न मचा दें। इससे बचने के लिए उन्होंने ब्रह्मा जी का सहारा लिया और हनुमान जी को शांत रखने के लिए उन्हें पाताल लोक भेज दिया।
जब ह्रदय में प्रकटे राम और सीता
माता सीता ने प्रेम वश एक बार हनुमान जी को एक बहुत ही कीमती सोने का हार भेंट में देने की सोची लेकिन हनुमान जी ने इसे लेने से माना कर दिया। इस बात से माता सीता गुस्सा हो गईं तब हनुमानजी ने अपनी छाती चीर का उन्हें उसमें बसी उनकी प्रभु राम की छवि दिखाई और कहा कि उनके लिए इससे ज्यादा कुछ अनमोल नहीं।
108 नामों में है जीवन का सार
हनुमान जी के संस्कृति में 108 नाम हैं और हर नाम का मतलब उनके जीवन के अध्ययों का सार बताता है।