इस महीना मेें सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है
कोलकाता टाइम्स :
विक्रम संवत का दसवां महीना है पौष। हेमंत ऋ तु होने की वजह से इस माह में ठंड अधिक पड़ती है। ऐसी मान्यता है कि पौष मास में भगवान भास्कर ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं। सूर्य के इस रूप को भग कहा गया है, जिसकी उपासना श्रद्धालुगण करते हैं।
धर्मशास्त्रों के अनुसार, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है और इन सभी गुणों से युक्त होते हैं भगवान। तभी पौष मास में सूर्य को अर्घ्य देने का प्रावधान है। दरअसल, सूर्य साक्षात देव हैं, परम ब्रह्म के स्वरूप हैं, जिनकी पूजा करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि शक्ति और ऊर्जा का भी संचार होता है।
मान्यता है कि पौष महीना न सिर्फ इंद्रिय-निग्रह, बल्कि प्राकृतिक ऊर्जा के संरक्षण में सहायक होता है। रोज की दौड़-भाग भरी जिंदगी में हमारी ऊर्जा का क्षरण होता रहता है। यह जानते हुए भी हम सांसारिक भोगों के आकर्षण से बच नहीं पाते। पौष मास हमें संयमी बनाकर आध्यात्मिक ऊर्जा के संचय का सुअवसर प्रदान करता है। चित्त सांसारिक वैराग्य की ओर सहज ही उन्मुख हो उठता है। वैराग्य संयम की शक्ति से पोषित होता है। मन पर विवेक का अंकुश होने पर ही व्यक्ति संयमी हो सकता है। तभी वह आध्यात्मिक ऊर्जा को अपने में उतार सकता है। ऐसे उपयोगी महीने को खर मास कहकर इसकी उपेक्षा करना उचित नहीं है।