आज भी यह ‘ड्रीम गर्ल’ की कुर्शी पर बरक़रार
कोलकाता टाइम्स :
रुपहले पर्दे से लेकर संसद तक और नृत्य समारोहों के मंच से लेकर छोटे पर्दे तक हेमा मालिनी हर जगह अपनी आकर्षक उपस्थिति से दर्शकों का ध्यानाकर्षण करती रही हैं। अनुभवी, खूबसूरत और प्रतिभाशाली हेमा मालिनी भारतीय कला-जगत की अमूल्य धरोहर हैं। आज उसी ड्रीम गर्ल का जन्मदिन है। जीवन के सातवें दशक में प्रवेश कर चुकी हेमामालिनी की खूबसूरती आज भी नई नवेली अभिनेत्रियों के लिए ईष्र्या का विषय बनी हुई है।
हिंदी सिनेमा में अभिनेत्रियों को एक पद देने का ट्रेंड चला आ रहा है। ड्रीम गर्ल के रूप में फिल्म निर्माता अनंत स्वामी ने हेमा को बहुप्रचारित किया। चौदह साल की उम्र से हेमा के घर के दरवाजे पर फिल्म निर्माता दस्तक देने लगे थे। निर्माता-निर्देशक श्रीधर ने फोटो सेशन के लिए हेमा को साड़ी पहनाई। साड़ी इसलिए कि वे अपनी उम्र से बड़ी दिखाई दे सकें। 1970 में फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ आई और हेमा मालिनी हर दिल की धड़कन बन गई। राजकपूर ने कहा- एक दिन यह लड़की सिनेमा की बहुत बड़ी स्टार बनेगी। राज साहब की भविष्यवाणी को हेमा ने सच कर दिखाया।
दक्षिण भारत से एक से एक सुंदर और आकर्षक हसीनाएं मुंबई के आकाश में आती रही हैं- पद्मिनी, वैजयंतीमाला, वहीदा रहमान, मीनाक्षी शेषाद्रि, श्रीदेवी, जयाप्रदा। लेकिन इन सबमें लंबे समय तक फिल्मों में मौजूद रहने वाली हैं, हेमा मालिनी। आज वे अपनी बेटियों के साथ जगमगा रही हैं। जब भी वह बेटियों के संग खड़ी होती हैं तो वह उनकी मां नहीं बल्कि उनकी छोटी बहन लगती है।
हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर, 1948 को अम्मनकुंडी तमिलनाडु में वीएसआर चक्रवर्ती और जया चक्रवर्ती के आयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। हेमामालिनी का बचपन तमिलनाडु के विभिन्न शहरों में बीता। हेमा के पिता वी एस आर चक्रवर्ती तमिल फिल्मों के निर्माता थे। फिल्मी परिवेश में पली-बढ़ी हेमामालिनी ने चेन्नई के आध्र महिला सभा से अपनी पढ़ाई पूरी की।
सपनों का सौदागर की नायिका के रूप में हिंदी फिल्मों को उसकी ड्रीम गर्ल की पहली झलक मिली। धीरे-धीरे हेमामालिनी का सम्मोहन हिंदी फिल्म दर्शकों के सर चढ़कर बोलने लगा और उनका नाम शीर्ष अभिनेत्री की सूची में सबसे ऊपर शुमार हो गया। लगभग तीन दशक तक हेमामालिनी के अभिनय और आकर्षण का जादू तात्कालिक अभिनेत्रियों पर हावी रहा। इसके बाद चल पड़ा सफलता का सिलसिला। सीता और गीता की सफलता से वह बॉलीवुड की नंबर वन हीरोइन बन गई। शोले में उनके बसंती वाले किरदार को आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं। आज भी शोले का डायलॉग बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाच लोगों के मुंह में बना हुआ है।
हेमामालिनी के लंबे फिल्मी सफर की उल्लेखनीय फिल्में हैं- जॉनी मेरा नाम, ड्रीम गर्ल, राजा जानी, सीता और गीता, धर्मात्मा, शोले, चरस, दो और दो पाच, बागबान, रजिया सुल्तान, द बर्निग ट्रेन, त्रिशूल, ज्योति, अमीर-गरीब, प्रेम नगर, खुशबू, मीरा, क्रांति और बागबान। हिंदी फिल्म दर्शकों ने हेमामालिनी के अभिनय के हर रंग देखे हैं। अपने कॅरियर के दौरान हेमा ने कई अभिनेताओं के साथ अपनी जोड़ी बनाई जिसमें अमिताभ और धर्मेन्द्र प्रमुख थे। धर्मेद्र के साथ उनकी जोड़ी रुपहले पर्दे की सर्वाधिक पसंदीदा जोड़ियों में से एक है। धर्मेद्र के साथ उन्होंने शोले, सीता और गीता, चरस, जुगनू, ड्रीम गर्ल, राजा जानी जैसी कई हिट फिल्में दीं। अपनी ग्लैमरस छवि से एक कुशल अभिनेत्री के तौर पर पहचान हासिल करने के लिए हेमा ने मशहूर निर्देशक गुलजार का दामन थामा। गुलजार के साथ उन्होंने खुशबू (1975), किनारा (1979) और मीरा (1979) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जादू चलाया। अमिताभ के साथ वह फिल्म नसीब, वीर जारा और बागबान जैसी हिट फिल्में कर चुकी हैं। दोनों की जोड़ी ब्लॉक बस्टर फिल्म शोले में भी नजर आई थी।
हेमा मालिनी और उनकी लव लाइफ स्वप्न सुंदरी हेमामालिनी का निजी जीवन भी बेहद रोचक रहा है। सह कलाकार जितेंद्र और संजीव कुमार के साथ प्रेम-प्रसंग की अफवाहों के बीच हेमामालिनी ने हिंदी फिल्मों के हीमैन धर्मेद्र से विवाह रचाया। कई फिल्मों में सह-कलाकार रह चुके धर्मेद्र के साथ अपने प्रेम-संबंध के प्रति समर्पण का प्रमाण देकर हेमा ने उनकी दूसरी पत्नी बनना भी स्वीकार कर लिया। धर्मेद्र-हेमा की जोड़ी हिंदी फिल्मों के उन प्रेमी-युगलों की सूची में शामिल हैं जो फिल्मी पर्दे के साथ-साथ निजी जीवन में भी सफल रही हैं।
जब धर्मेद्र ने हेमा मालिनी के साथ सात फेरे लिए, तब तक दोनों एक साथ एक दर्जन से भी अधिक फिल्मों में काम कर चुके थे। उस समय धर्मेद्र न केवल विवाहित थे, बल्कि उनकी बेटी की भी शादी हो चुकी थी। बड़े बेटे सनी देओल फिल्मों में आने की तैयारी कर रहे थे। ऐसे में हेमा मालिनी से शादी करने का फैसला करना जरूर बड़ा मुश्किल रहा होगा, लेकिन दोनों ने यह फैसला कर ही लिया था।
दो बेटियों एशा और अहाना के व्यक्तित्व को मातृत्व की छाव में संवारने के साथ ही हेमामालिनी राजनीतिक परिदृश्य में भी सक्रिय रहीं। सासद के रूप में वे अपनी जिम्मेदारिया बखूबी निभाती रही हैं। वह भाजपा की तरफ से राज्यसभा की सासद रह चुकी हैं।
हेमा मालिनी (1973) में सीता और गीता के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त 1999 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी मिल चुका है। हेमा मालिनी को वर्ष 2000 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। वह राज्यसभा में भाजपा की सासद भी रह चुकी हैं और उनका ज्यादातर वक्त सामाजिक कार्यो में बीतता है।