July 2, 2024     Select Language
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गजब : चोरों ने चुरा लिया आइसबर्ग से बना पानी

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कोलकाता टाइम्स :

नाडा के न्यूफाउंडलैंड में एक अजीबोगरीब चोरी का मामला सामने आया है। इस कारनामे में बीते सप्ताह के आखीर में चोरों ने एक वोदका कंपनी से 30 हजार लीटर पानी चोरी कर लिया। अगर आप सोच रहे हैं कि इसमें क्या खास है या पानी की चोरी करके क्या होगा तो जान लें कि चोरी हुआ पानी साधारण नहीं, बल्कि एक आइसबर्ग का था। ये पानी बेहद शुद्ध होता है जिसकी वजह से इसका इस्तेमाल महंगी वोदका (शराब) और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स बनाने में किया जाता है। आइसबर्ग वोदका कंपनी की मानें तो चोरी हुए पानी की कीमत करीब 8.5 लाख रुपए थी।

पुलिस को अब इन चोरों को तलाश रही है, उनको शक है कि ये एक अकेले व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे गैंग का काम है और चोरों ने इस घटना को एक बार में नहीं बल्कि कुछ दिनों में रुक रुक कर अंजाम दिया है। पुलिस वालों को ऐसा भी लगता है कि चोरों को पानी के कंटेनर्स और उसकी उपयोगिता के बारे में भी जानकारी थी। इसी वजह से उन्हें ये भी लगता है कि ये कुछ अंदरूनी लोगों का काम हो सकता है। राॅयटर्स के अनुसार ऐसा ही कुछ कंपनी के सीईओ डेविड मायर्स का भी मानना है, जिन्होंने घटना पर हैरान होते हुए कहा कि इस चोरी में सब ना भी सही पर कोई एक तो जरूर कंपनी के अंदर का व्यक्ति भी शामिल है, क्योंकि एक पूरा टैंक बिना उसकी मदद के खाली नहीं हो सकता है। इस शक की बड़ी वजह ये है कि कंटेनर के खुफिया लॉक्स के पासवर्ड बाहर वालों को पता नहीं हो सकते।

सीईर्आे मायर्स की एक सबसे बड़ी परेशानी ये है कि बेशक उन्होंने पानी का इंश्योरेंस करवाया हुआ था, लेकिन इसके बावजूद दिक्कत कम नहीं होगी। एसा इसलिए है कि एक साल में सामान्य रूप से एक ही बार समुद्र में तैर रहे आइसबर्ग को तोड़ कर पानी निकाला जा सकता है। सर्दियों में आइसबर्ग पूरी तरह से ठोस होते हैं और उनको तोड़ा नहीं जा सकता। ऐसे में पैसा मिलने के बावजूद आर्डर्स पूरे करना मुमकिन नहीं हो पायेगा। वैसे एक संभावना ये भी है कि चोर वास्तव में वोदका की चोरी करने आए हों और उन्होंने पानी गलती से पानी का टैंकर खाली कर लिया हो।

कंपनी से जुड़े लोगों ने पुलिस को बताया कि ये चोरी वाकई हैरान करने वाली है क्योंकि टैंकर्स को बेहद सुरक्षा में रखा जाता है और हर समय उनके आसपास कोई कोई रहता है। यही वजह है कि घटना सप्ताहंत में हुई जब लगभग सारा स्टाफ छुट्टी पर था। जब नए सप्ताह के पहले दिन सब काम पर वापस आये तो पाया कि एक टैंकर में पानी एक भी बूंद शेष नहीं थी।

कंपनी के सूत्रों ने बताया कि आइसबर्ग से पानी निकालने की प्रक्रिया काफी कठिन होती है। पहले तो सरकार से इसकी इजाजत लेनी पड़ती है फिर कुछ जाल, हाइड्रॉलिक मशीनों, राइफल और काटने वाली मशीनों की मदद से आइसबर्ग को तोड़ कर अलग किया जाता है। टूटने के बाद उसे एक स्पीडबोट की मदद से किनारे तक खींच कर लाया जाता है और क्रेन से उठाकर कंटेनर में पहुंचाया जाता है। आखीर में भाप से इसे साफ करके इस्तेमाल के लायक बनाया जाता है।

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