दहला देने वाला सच : दिल निकालकर दी गई थी 140 मासूमों की बलि
कोलकाता टाइम्स :
इंसानों की बलि देने के कई घिनौने और खौफनाक मामले आपने सुने और पढ़े होंगे। लेकिन इस बार पुरातत्वविदों ने एक बड़ा खुलासा करते हुए इतिहास में बच्चों की बलि की सबसे खौफनाक हकीकत को सबके सामने रखा है।
पेरू में दुनिया का सबसे बड़ा बलि स्थल मिला है जिसका नाम लास लामास है जो की राजधानी लिमा से 500 किलोमीटर दूर त्रुलिजो शहर के करीब मौजूद है। जहां 550 साल पहले सबसे बड़े नरसंहार के सबूत मिले है। जिस जगह पर 140 बच्चों के अवेशष मिले हैं। वो जगह कभी चिमू सभ्यता से जुड़ी हुई थी।
इन बलियों को लेकर पेरु नेशनल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गेब्रियल प्रिटो का यह मानना है कि बलि देने की जगह को चिमू साम्राज्य में बनाया गया था। जिसको लेकर यह माना जाता है कि अल नीनो के वजह से पेरु के पास समुद्र में एक भयानक तूफान आया था।
जिसके बाद से त्रुजिलो में बाढ़ जैसे हालत पैदा हो गए थे। इसी समस्या से निजात पाने के लिए लोगों ने अपने मासूम बच्चों की बलि ईश्वर को चढ़ाना शुरु कर दिया।
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि प्रोफेसर का यह मानना है कि बलि वाली जगह पर मिले बच्चों के अवशेष के सिर समुद्र की तरफ हो रखे थे। ऐसे में इससे यह साफ पता चलता है कि उन्हें इस तरह से ही बलि स्थल में दफनाया गया था। इस जगह को हुआनचाकिटो लास लमास भी कहा जाता है।
इस खतरनाक और भयानक घटना की पुष्टि नेशनल जियोग्राफीक सोसाइटी की ओर से भी की गई है। इसके अलावा इस खोज के लिए ग्रांट देकर भी मदद उपलब्ध कराई गई है।
इस मामले में पहली खुदाई पेरू के लामास में साल 2011 में की गई थी। इस दौरान 42 बच्चों और 76 लामाओं के अवशेष खुदाई में मिले थे। लेकिन कुछ हफ्ते बाद 140 बच्चों के अवशेष खुदाई में मिले।
सबसे खौफनाक मंजर यह है कि अवशेषों पर कट मार्क्स मिले है जिसके चलते यह साफ पता चलता हैं कि इन बच्चों के दिल को निकालकर ही इनकी बलि दी गई होगी।
खुदाई में मिले अवशेषों को देखकर ऐसा लगाता हैं कि बच्चों के शरीर से दिल निकालने के लिए उनकी पसलियों और अन्य हड्डियों को काटा गया था।