‘डराना ही इस एक्ट्रेस की यूएसपी’
कोलकाता टाइम्स :
लगता है, बिपाशा बसु को डरावनी फिल्मों से प्यार हो गया है। ‘राज 3’ की कामयाबी के बाद वे डरावनी फिल्म ‘आत्मा’ में दिखीं । बिपाशा कहती हैं, ‘डराना मेरी यूएसपी हो गई है।
यह काम मैं बचपन से करती आ रही हूं। स्कूल के दिनों में सब मुझे ‘लेडी गुंडा’ कहते थे। अब फिल्मों में लोगों को डराने को मिल रहा है और इस रूप में भी मैं लोगों को लुभा रही हूं। चाहे ‘अजनबी’ हो या ‘जिस्म’ या फिर ‘राज 3’। सब में मेरा ग्रे शेड था, जिसे लोगों ने पसंद किया। सच कहूं तो डरावनी फिल्मों में एक्टिंग की गुंजाइश आम फिल्मों के मुकाबले ज्यादा होती है। यही वजह है कि जब फिल्म ‘आत्मा’ मुझे ऑफर हुई, तो मैं इसके लिए ना नहीं कह सकी। यह एक अलग किस्म की हॉरर फिल्म है। इसमें भूत-प्रेत और आत्माओं की दुनिया को बेहद तार्किक और मनोरंजक तरीके से पेश किया गया है।’
बिपाशा आगे कहती हैं, ‘मेरे ख्याल से हॉरर फिल्मों ने मेरी इमेज को बेहतर अभिनेत्री के तौर पर स्थापित किया, क्योंकि मॉडल होने के नाते तो मुझे इंडस्ट्री वालों ने टाइपकास्ट ही कर दिया था। जब- जब मैंने सेफ जोन से बाहर निकलकर काम किया, लोगों ने मुझे खूब सराहा, वर्ना फिल्मकारों ने मुझे सेक्स सिंबल का तमगा दिया था, जो मुझे कभी अच्छा नहीं लगा। न मैंने जानबूझकर अपनी इमेज उस तरही की बनाई। फिल्मकार आज भी इस पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं कि मॉडलिंग की दुनिया से आए लोगों का अभिनय से कोई वास्ता नहीं होता, जबकि ऐसा नहीं है। अपनी इमेज तोड़ने की खातिर ही मैंने बांग्ला फिल्म ‘शोब चरित्रो काल्पनिक’ में बंगाली युवती का रोल किया। लोगों ने कम कपड़ों के बजाय मुझे उस फिल्म में कॉटन की साड़ी, लंबे ब्लाऊज और बड़ी-बड़ी बिंदी में मुझे देखा। मुझे खुद भी वह लुक पसंद है।’
फिल्म ‘आक्रोश’ के बारे में बात होती है, तो उनका जवाब होता है, ‘उस फिल्म को करने के पीछे भी वजह थी कि मैं ग्लैमर डॉल बने रहना नहीं चाहती थी। मुझे ग्लैमरस भूमिकाएं निभाना अच्छा लगता है, लेकिन मुझे लगता है कि वैसी भूमिकाएं मैंने बहुत निभा ली हैं। अब मैं करियर के उस स्टेज पर आ गई हूं कि मैं मीनिंगफुल फिल्मों में काम कर सकूं। मैं मानती हूं कि फिल्म मेकिंग सिर्फ बिजनेस नहीं है। समाज के प्रति भी हमारी कुछ जिम्मेदारी है। मैं उस जिम्मेदारी को निभाने के लिए गंभीर हूं। हालांकि हिंदी फिल्मों में अभिनेत्रियों की अपनी सीमाएं हैं। इसलिए मैंने संतुलन का रास्ता साधा। कमर्शियल और लीक से हटकर फिल्में करती रही। निजी जीवन और फिल्मी करियर में तालमेल बिठाना मैंने जान लिया है। आज मैं उस मुकाम पर हूं, जहां सभी मेरी इज्जत करते हैं। मीडिया हो या फिल्म इंडस्ट्री या फिर दर्शक, सभी मेरी रेस्पेक्ट करते हैं। इससे बढ़कर मैं कुछ और चाह भी नहीं सकती। ऐसे में खुद को भीड़ से अलग साबित करने का जितना स्कोप मिलता है, उसका फायदा उठाती हूं। मैं बेहद अनुशासित हूं। सही समय पर सेट पर आना और समय पर काम पूरा करना मुझे पसंद है। मुझे तब बेहद गुस्सा आता है, जब एक बंदा काम करता है और दूसरा नहीं। इस बारे में मैं बेहद ईमानदार हूं। अपना काम लगन के साथ करती हूं।’
अब बिपाशा ने अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है। वे अब अपने अपोजिट किसी कलाकार के साथ काम करने से नहीं हिचकतीं। ‘आत्मा’ इसका उदाहरण है। पारंपरिक हीरो न होने के बावजूद वे फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अपोजिट थी थी।’
इंडस्ट्री के ट्रेड पंडितों के मुताबिक, ‘करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने अक्षय खन्ना, सुनील शेट्टी और यहां तक कि अभिषेक बच्चन के साथ भी काम करने से मना किया। अब जब वे परिपक्व हुई हैं, तो किसी के साथ काम करने से वे संकोच नहीं कर रही हैं। चाहे नवाजुद्दीन सिद्दीकी हों या फिर ‘नो एंट्री’ में अपनी उम्र में खुद से काफी बड़े अनिल कपूर के साथ रोमांस करना। वे महसूस कर चुकी हैं कि अब जमाना लीक से हटकर बनी फिल्मों का है, जिसमें बेमेल जोड़ियां होती हैं। वे भी वर्क कर रही हैं। ‘राज 3′ के बाद से उनके करियर ने यू-टर्न लिया है। अब करियर की गति पर वे बेवजह ब्रेक नहीं लगाना चाहती हैं।’