November 23, 2024     Select Language
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जरूर जाने, इस तरह होता है इन राशियों पर शनि का अच्‍छा या बुरा प्रभाव

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कोलकाता टाइम्स :

नि का प्रकोप जब प्रत्येक व्यक्ति की राशि में आता है तो लोगों को एक्सीडेंट, धनि की हानि, घर में अत्यन्त कलेश जैसी कई दिक्कतें झेलनी पड़ती है। आमतौर पर लोग शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनिवार को तेल का दिया जलाते है, हनुमान चालीसा का पाठ करते है। इनके अलावा और भी कई ऐसे उपाय होते है जो आपको शनि के प्रकोप से बचाता है। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव कर्मों के हिसाब से अच्छा या बुरा फल देते है। प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। , नियमित रूप से शनिवार और मंगलवार को हनुमान जी को चमेली के तेल का दीपक जलाऐं । मंगलवार और शनिवार को नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करें। शनि देव को सरसों के तेल और काले तिल का अभिषेक करें।शनिवार को व्रत रखें और नियमित रूप से उनके दर्शन करें। काले घोड़े की नाल का छल्ला शनिवार के दिन माध्यम ऊँगली में धारण करें।

अगर आपकी राशि में शनि आ रहा हो तो, अगर आप साढ़े साती से ग्रस्त हो तो, यदि आपकी शनि दृष्टि से त्रस्त एवं पीडित हो, यदि आप कारखाना , लोहे से सम्बद्ध उद्योग , टँव्हल , ट्रक , ट्रांसपोर्ट , तेल , पेट्रोलियम , मेडिकल , प्रेस , कोर्ट कचहरी , संबधित हो, यदि आप कोई भी अच्छा कार्य करते हो तो, यदि आपका पेशा वाणिज्य, कारोबार में क्षति घाटा परेशानी आपत्तियां आ रही हो तो , अगर आप असाध्य रोग से त्रस्त तथा पीड़ित हो , तो आप श्री शनिदेव का पूजन , अभिषेक अवश्य कीजिए | जिस भक्त के घर में प्रसूति सूतक या रजो दर्शन हो उसे शनि के दर्शन नहीं करना चाहिए |

श्री शनी के महत्वपूर्ण मंत्र जिससे कई परेशानी दूर हो सकती है |

बीज मंत्र: ॐ श शनैश्र्चराय नमः

तंत्रोक मंत्र: ॐ प्रा प्री प्रौ सः शनैश्र्चराय नमः

शनीचा व्यासाविरचीत मंत्र: ॐ नीलांजन सामाभासम | रवि पुत्रम यमाग्रजाम |छाया मार्तण्डसंभूतं | तम नमामि शनैश्र्चराम ||

शनीचा पुरणोक्त मंत्र: सूर्यपुत्रो दिर्घदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय : |मंदचार: प्रसन्नात्मा पीडा हरतु मे शनी: ||

शनीचा वेदोक्त मंत्र: ॐ शामाग्निभी : करचछत्र : स्तपंत सूर्य शंवातोवा त्वरपा अपस्निधा

जानिए सभी राशियों पर शनि का प्रभाव…..

कुछ ग्रहों के साथ शनिदेव शुभ होते हैं और कुछ के साथ अशुभ फलदायी, उसी प्रकार 12 राशियों में से कुछ में शनि लाभदायक तो कुछ में हानिकारक होते हैं। जिन जातक को शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव है। जानिए, आपकी कुंडली में शनि किस राशि में हैं और यह आपको किस प्रकार से प्रभावित करेंगे :-

मेष राशि : राशिचक्र में सबसे पहला स्थान मेष राशि का है। इस राशि में शनि नीच का होता है। शनि नीच होने से यह अशुभ फलदायी होता है। इस राशि शनि की स्थिति से व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है। इस राशि में जिनके शनि होता है शनि उन्हें हठी और क्रोधी बनाता है। यह व्यक्ति को बुरी आदतों की ओर ले जाता है। मेष राशि में जब शनि की महादशा चलती है उस समय रिश्तेदारों एवं मित्रों के साथ विरोध उत्पन्न होता है। इस समय संबंधों में दूरियां भी बढ़ जाती हैं।

वृषभ राशि : वृष राशि राशिचक्र में दूसरी राशि है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि इस राशि में होता है वह व्यक्ति असत्य भाषण करने वाला होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता यह अपने स्वार्थ के लिए किसी को धोखा दे सकता है। यह काफी चतुर और शक्तिशाली होता है। काम की भावना इनमें अधिक रहती है।

मिथुन राशि : मिथुन राशि में शनि का होने पर यह व्यक्ति को दुःसाहसी बनाता है। व्यक्ति चतुर और धूर्त प्रकृति का होता है। राजनीति एवं कुटनीतिक क्षेत्र में इन्हें विशेष सफलता मिलती है। इनमें दया और सद्भावना की कमी होती है। संतान की दृष्टि से यह स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती है, क्योंकि यह अल्प संतान का योग निर्मित करता है। साहित्य, संगीत एवं सौन्दर्य के प्रति व्यक्ति में विशेष लगाव रहता है।

कर्क राशि : राशि चक्र की चौथी राशि है कर्क राशि। जिस व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थ भाव में शनि होता है वह व्यक्ति जिद्दी और दूसरों से ईर्ष्या करने वाला होता है। स्वार्थ की भावना इनमें प्रबल रहती है। मातृ पक्ष से इन्हें सुख की कमी महसूस होती है। जब शनि की महादशा कर्क राशि में होती है उस समय इन्हें विशेष कष्ट होता है। शनि की महादशा में पारिवारिक जीवन में उथल-पुथल, मानसिक अशांति, अस्वस्थता मिलती है।

सिंह राशि : सिंह राशि राशि चक्र में पांचवीं राशि है। इस राशि में शनि के होने से शनि व्यक्ति को गंभीर और चिंतनशील बनाता है। व्यक्ति अपने कार्य में निपुण और परिश्रमी होता है। इस राशि में शनि से प्रभावित व्यक्ति अपनी बातों पर अडिग रहने वाला होता है। गोचर में इस राशि में जब शनि की महादशा चलती है, उस समय इन्हें अत्यधिक परिश्रम करना होता है। अनावश्यक रूप से धन की हानि होती है और मन में निराशात्मक विचार आते रहते हैं।

कन्या राशि : जिनकी कुंडली में कन्या राशि में शनि होता है वे परोपकारी और गुणवान होते हैं। इस राशि में जिनके शनि होता है वे धनवान और शक्तिशाली होते हैं। कम बोलने वाले और लेखन एवं गंभीर विषयों में रुचि रखने वाले होते हैं। ये सामाजिक कार्यों में शामिल रहते हैं। पारंपारिकता एवं पुराने विचारों में यकीन रखने वाले होते हैं। इस राशि में शनि की महादशा में इन्हें यश और लाभ मिलता है।

तुला राशि : तुला राशि में शनि उत्तम फल देने वाला होता है। यह व्यक्ति को स्वाभिमानी, महत्वाकांक्षी और भाषण कला में निपुण बनाता है। यह व्यक्ति को स्वतंत्र विचारों वाला और चतुर बनाता है। आर्थिक रूप से मजबूत और कुशल मानसिक क्षमता प्रदान करता है।

वृश्चिक राशि : शनिदेव जिनकी कुंडली में वृश्चिक राशि में होते हैं वह व्यक्ति जोशीला और क्रोधी होता है। इनमें अभिमान और वैराग्य की भावना रहती है। इनका स्वभाव गंभीर और ईष्यालु होता है। इस राशि में शनि की महादशा जब चलती है तब आर्थिक क्षति और मान-सम्मान की हानि होती है।

धनु राशि : राशिचक्र में शनि का स्थान नवम है। इस राशि में शनि होने पर यह व्यक्ति को व्यावहारिक और ज्ञानवान बनाता है। व्यक्ति परिश्रमी और नेक विचारों वाला होता है। चतुराई और अक्लमंदी से काम करने वाला एवं दूसरों के उपकार को मानने वाला होता है। इस राशि में जब शनि की महादशा चलती है उस समय व्यक्ति को सुख और उत्तम फल प्राप्त होता है। शिक्षा के क्षेत्र में महादशा के दौरान सफलता मिलती है।

मकर राशि : राशि चक्र की दसवीं राशि यानी मकर राशि में शनि व्यक्ति को परिश्रमी और ईश्वर के प्रति आस्थावान बनाता है। कारोबार में प्रगति, आर्थिक लाभ, जमीन जायदाद का लाभ यह शनि दिलाता है। शनि इनकी प्रकृति शंकालु बनाता है। लालच और स्वार्थ की भावना भी इनके अंदर रहती है।

कुंभ राशि : जिनकी कुंडली में शनि दशम भाव यानी कुंभ राशि में होता है वह व्यक्ति अहंकारी होता है। आर्थिक रूप से सामान्य रहते हैं। कूटनीतिक क्षेत्र में सफल और बुद्धिमान होते हैं। नेत्र रोग से पीडि़त होते हैं। व्यवहार कुशल और भाग्य के धनी होते हैं।

मीन राशि : मीन राशि चक्र की 12वीं राशि है। मीन राशि में शनि स्थित होने पर यह व्यक्ति को गंभीर बनाता है। व्यक्ति दूसरों से ईर्ष्या रखने वाला व महत्वाकांक्षी होता है। इस राशि में शनि के होने पर व्यक्ति उदार और समाज में प्रतिष्ठित होता है। शनि इनकी आर्थिक स्थिति भी सामान्य बनाए रखता है।

इस प्रकार कुंडली में स्थित अशुभ शनि के प्रभाव, गोचर शनि के दुष्प्रभाव तथा दशा-अंतर्दशाओं में ग्रह पीड़ा के निवारण हेतु जातक को चाहिए कि वह, श्रद्धा से युक्त, पवित्र और एकाग्र चित्त हो कर, शनि की लौह प्रतिमा का शमी पत्रों से पूजन करे, तिल मिश्रित उड़द भात, लोहा, काली गौ, या बैल ब्राह्मण को दान करे तथा शनिवार को सवेरे उठ कर इस स्तोत्र का पाठ करें –

नमः कृष्णाय नीलाय शितिकंठनिभाय च। नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः।।

नमो निर्मांसदेहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।

नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णे च वै पुनः। नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोअस्तु ते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नमः। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय करालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोअसतु ते। सूर्यपुत्र नमस्तेअस्तु भास्करेअभयदाय च।।

अधोदृष्टे नमस्तेअस्तु संवर्तक नमोअस्तु ते। नमो मंदगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोअस्तु ते।।

तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च। नमो नित्थं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः।।

ज्ञान चक्षुर्नमतेअस्तु कश्यपात्मजसूनवे। तुष्टो ददासि वै राज्यं रूष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगाः। त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः।।

प्रसाद कुरू मे देव वरार्होअहमुपागतः।।

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