ज़्यादा लाइट्स कहीं आपके लुपस का कारण
कोलकाता टाइम्स :
मरीज के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के लिए जिम्मेदार श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है जिसका दुष्प्रभाव अन्य अंगों पर भी पड़ता है. इसके लक्षणों के आधार पर ही इस बीमारी का पता चलता है। जोड़ों में दर्द, तेज बुखार, श्वांस लेने में तकलीफ, पैरों में सूजन, आंखों के आसपास काले घेरे, मुंह में अल्सर, जल्द थकान आ जाना, चेहरे पर लाल चकत्ते, बाल झड़ना, तेज ठंड लगना जैसे सामान्य संकेत ही इस बीमारी के आम लक्षण हैं। आइए हम आपको इसके बचने के कुछ टिप्स बताते हैं।
1-सूर्य की पराबैगनी किरणें कई प्रकार की त्वचा के रोग के लिए जिम्मेदार हैं। उनमे से एक है ल्यूपस. इसलिए सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने से बचिये. यदि बाहर जा रहे हैं तो ऐसा कपड़ा पहनिये जो आपके पूरे शरीर को ढके या छाते का प्रयोग कीजिए। इसके अलावा आप सनस्क्रीन लोशन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
2-सूर्य की किरणों के अलावा मानव निर्मित कृत्रिम रोशनी से भी पराबैंगनी किरणें निकलती हैं। इसलिए इनसे भी बचने की जरूरत है। घर और स्ट्रीट लाइटों में लगे फ्लोरिसेंट लाइट बल्ब से निकली पराबैंगनी किरणें भी ल्यूपस का कारण बन सकती हैं, इसलिए इन लाइटों से दूर रहकर आप ल्यूपस से बचाव कर सकते हैं।
3-यदि आपके शरीर में किसी भी प्रकार की सर्जरी हो चुकी है तो वह ल्यूपस का कारण बन सकता है। महिलाओं को यदि सिजेरियन हुआ है तो उनको भी यह बीमारी हो सकती है. इसलिए सर्जरी के बाद ध्यान रखने की जरूरत है।