July 4, 2024     Select Language
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स्वरूप भयंकर पर इस देवी की अराधना से खुल जाते हैं सिद्धियों के द्वार  

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कोलकाता टाइम्स :

माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है।

अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है। माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

इस देवी का स्वरूप सभी देव‌ियों में भयंकर है। ले‌क‌िन भक्तों के ल‌िए माता बहुत ही कल्याणकारी होने के ल‌िए शुभंकरी भी कहलाती हैं। पुराणों में ज‌िक्र आया है क‌ि स्याह रात्रि के समान माता का स्वरूप काला है। कालारात्रि माता गले में विद्युत की माला धारण करती हैं। इनके बाल खुले हुए हैं और यह गर्दभ की सवारी करती हैं। माता के हाथ में कटा हुआ सिर है जिससे रक्त टपकता रहता है। भयंकर रूप होते हुए भी माता भक्तों के लिए कल्याणकारी है। देवी भाग्वत् में कालरात्रि को आदिशक्ति का तमोगुण स्वरूप बताया गया इसल‌िए इन्हें काली भी कहा जाता है।

कालरात्रि माता के विषय में कहा जाता है कि यह दुष्टों के बाल पकड़कर खड्ग से उसका सिर काट देती हैं। रक्तबीज से युद्घ करते समय मां काली ने भी इसी प्रकार से रक्तबीज का वध किया था। मां काली के युद्घ करने का यह तरीका दर्शाता है कि काली और कालरात्रि एक ही हैं। कालरात्रि माता भगवान विष्णु की योगनिद्रा भी कही जाती है।

जीवों में मोह माया का कारण भी मां कालरात्रि देवी हैं। दुर्गासप्तशती के प्रथम चरित्र में बताया गया है कि भगवान विष्णु जब सो रहे थे तब उनके कान के मैल से दो भयंकर असुर मधु और कैटभ उत्पन्न हुए। ये दोनों असुर ब्रह्मा जी को मारना चाहते थे। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की योगनिद्रा की आराधना की। जीवों में मोह माया का कारण भी मां कालरात्रि देवी हैं।

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