सिर्फ मुजरिमों के लिए ही नहीं पुलिस के लिए भी आतंक है यह थाना
कोलकाता टाइम्स :
कभी कभी ऐसी घटनायें घटती हैं जो हमारे अंतर्रात्मा को झकझोर देती है और हमें अंधविश्वास पर भरोसा करने पर मजबूर कर देती है। ऐसे ही अंधविश्वास का शिकार सहारनपुर के पुलिस स्टेशन का थाना हो गया है। जहां पुलिस वाले किसी भी कैदी को बंद नहीं करते है।
इसकी वजह यह है कि थाने के निर्माण के बाद जिसे भी उस थाने मे रखा गया वह गया तो जिंदा लेकिन सुबह निकला मरा हुआ। इसके चलते बहुत से पुलिसकर्मियों को अपनी वर्दी भी गंवानी पड़ी। अब हालात ये हैं कि इस लाॅकअप में किसी भी कैदी को नहीं रखा जाता है यहां तक की किसी दूसरे लाॅकअप मे भी कैदी को अकेला नहीं रखा जाता है ।
सहारनपुर थाने का निर्माण 1980 मे हुआ था ये बात भी तभी की है। छत डालने के दौरान अचानक से सारा मलबा नीचे गिर गया जिसके नीचे कई मजदूर दब गये जिसमे से 3 मजदूरों को अपनी जान भी गवानी पड़ी। इसके बाद कई ऐसी घटनायें हुई जो जिसने इस थाने को हाॅन्टेड बना दिया जिसने पुलिस वालों को सहमा दिया। अब लोग इस थाने को भुतहा बना दिया।
1983 में गाेरखपुर के सहारनपुर थाने के लाॅकअप मे दीपू नाम का एक युवक बंद हुआ। ऐसा बताया जाता है कि दीपू की पुलिस ने पिटाई करके लाॅकअप में डाल दिया था। सुबह जब देखा गया तो दीपू की मौत हो चुकी थी।
जबकि साथ ही ये भी कहा जा रहा हैं कि पुलिस ने इतनी पिटाई नहीं की थी कि दीपू की जान चली जाये। सारे सबूत इसके खिलाफ थे और तीन पुलिस वालो को अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। इस घटना को सहारनपुर भूल भी नहीं पाया था कि एक और कैदी की जान चली गई।
1985 की बात है राजू नाम के एक युवक को पुलिस ने पकड़ा और पिटाई करके लाॅकअप मे डाल दिया और सुबह उसकी लाश निकली। इसके बाद कैदी ही नहीं पुलिस वालों के मन में ये डर और अंधविश्वास बैठ गया।
अब आलम यह था कि इस थाने को पूरी तरह अभिशप्त मान लिया गया था लेकिन समय के साथ लोगो का अंधविश्वास भी धुंधला होने लगा। 2001 की बात है जब पुलिस ने एक बार फिर वही गलती कर दी। राजेश शर्मा नाम के एक युवक के साथ पूछताछ करने के बाद लाॅकअप मे बंद कर दिया और राजेश की मौत हो गई। इंस्पेक्टर संजय ने इस आरोप में दो सिपाहियों को जेल में डाल दिया।
इस थाने की कहानियां खूब कही सुनी जाने लगी और किसी न किसी रूप मे इस थाने के पुलिस वाले मुश्किलों में पड़ते रहें। ऐसे हर 2003 में जन्माष्टमी को आयेजन किया गया था। सहारनपुर थाने मे आकेेस्ट्रा का आयोजन था। रीना राॅय नाम की आकेस्ट्रा डांसर स्टेज पर थी। जोश मे आकर किसी सिपाही ने फायर किया और गाेली जाकर रीना को लग गई। रीना की मौत ने बवाल मचा दिया। सिपाही गिरफ्तार हुआ इसके बाद कोई भी पुलिस वाला यह नहीं चाहता था कि उसकी पोस्टिंग यहां हो।
इस वारदात के बाद 2015 में सिद्धार्थ मिश्र नाम के एक युवक जले हांलात में पुलिस को मिला अस्पताल मे भर्ती करवाने के बाद उसकी मौत हो गई। मृतक की मां का आरोप था कि पुलिसवालों के किराया के छोटे से विवाद को लेकर उसके बेटे को पेट्रोल डालकर जला दिया।
इसके बाद 2006 में शाहपुर पुलिस ने टैम्पों चोरी के आरोप में सुनील साहनी नाम के व्यक्ति को उठाया। हिरासत में सुनील की मौत हो गई। आरोप है कि लॉकअप में मौत के बाद पुलिस ने लाश को ठीकाने लगा दिया। बाद में यह मामला तूल पकड़ा। शहर में बवाल हुआ और फिर दो पुलिसवालों पर कार्रवाई हुई।
थाने मे हुई वारदात से पुलिसवालों पूरी तरह अंधविश्वास की चपेट मे आ चुके थे। सबको अपनी नौकरी और वर्दी की चिंता सताने लगी थी। इसके बाद तय हुआ कि हनुमान जी के मंदिर की स्थापना हो। इसके बाद पूरे विधि विधान से थाने में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गई। शाहपुर थाने पर तैनात पुलिसवाले बताते हैं कि अब उनकी दिनचर्या पूजा के साथ शुरू होती है।
सहारनपुर के थाने मे भले ही हनुमाज जी की मूर्ति स्थापना के बाद सबकुछ ठीक मान लिया गया हो लेकिन आज भी यहां के लोग और पुलिसवाले अंधविश्वास से उबर नही पाये हैं। थाने के दीवान ने बताया कि इस थाने के लाॅकअप मे आज भी कोई नहीं रखा जाता है और थाने में कबाड़ और पुरानी फाइल्स भर दी गई है। उन्होंने बताया कि इस लॉकअप के अलावा दूसरे लॉकअप में भी वह लोग किसी अपराधी को अकेले बंद नहीं करते हैं।
शाहपुर थाने के निर्माण के वक़्त थानेदार के लिए भी एक कमरा बना है। लेकिन खौफ ऐसा कि वह कभी भी उसमें नहीं बैठते। कुछ दिन पहले थाना परिसर में ही एक नया भवन बना जिसमें थानेदार अब बैठते हैं।