January 19, 2025     Select Language
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कैसी भी समस्या से निजात दिला सकता है यह मंत्र

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कोलकाता टाइम्स :

स मंत्र को आप जिस भी कामना से वशीभूत होकर जपेंगे, वह कामना अवश्य पूरी होती है। किंतु आज हम इस मंत्र के उस स्वरूप से आपका साक्षात्कार करवाएंगे, जिसे जानकर आपको बेहद हैरानी होगी । गायत्री मंत्र की महत्ता से अधिकांश लोग वाकिफ होते ही हैं। यह पूर्णरूप से सिद्ध वैदिक मंत्र है, जिसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है मोक्ष प्राप्ति की पात्रता प्रदान करना। हालांकि गायत्री साधक जितना ही गहरे इसमें उतरता जाएगा, यदि वह मोक्ष की कामना से इसमें शामिल हुआ है तो ये मंत्र उस साधक को दुनियावी संसाधनों से मुक्त कर देता है। मोक्ष की कामना वाला साधक इस भौतिक जीवन के जितने भी आयाम हैं, उन्हें छोड़ देता है। बेहद गहराई में उतरा साधक गायत्री मंत्र का जितना अधिक जप करेगा, उतना ही अधिक वह मोह-माया के बंधनों को काटकर उनसे ऊपर आ जाएगा।

हिंदू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है अर्थात सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मां गायत्री का अवतरण माना जाता है। इस दिन को हम गायत्री जयंती के रूप में मनाते है। मां गायत्री को हमारे वेद शास्त्रों में वेदमाता कहा गया है। धर्म ग्रंथों में यह भी लिखा है कि गायत्री उपासना करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं तथा उसे कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होती। गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस के सात प्रतिफल अथर्ववेद में बताए गए हैं, जो विधिपूर्वक उपासना करने वाले हर साधक को निश्चित ही प्राप्त होते हैं। विधिपूर्वक की गयी उपासना साधक के चारों ओर एक रक्षा कवच का निर्माण करती है व विपत्तियों के समय उसकी रक्षा करती है।

मां गायत्री को पंचमुखी माना गया है हिंदू धर्म में मां गायत्री को पंचमुखी माना गया है जिसका अर्थ है यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड जल, वायु, पृथ्वी, तेज और आकाश के पांच तत्वों से बना है। संसार में जितने भी प्राणी हैं, उनका शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है। इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव के भीतर गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में विद्यमान है। यही कारण है गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है इसीलिए भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर प्राणी को प्रतिदिन गायत्री उपासना अवश्य करनी चाहिए।

अनुभव में प्रायः यही देखने में आया है कि कई साधक जो गंगा की धारा में घंटों अनवरत गायत्री उपासना में रत रहे हैं, उनके जीवन में आने वाले सभी अवरोध क्रमशः हटते जाते हैं। वे ज्यों-ज्यों इसमें उतरते हैं उतने ही भौतिक तत्वों का उनके जीवन से ह्रास हो जाता है। कुछ साधक अपने पुत्र, पत्नी, घर-बार सभी से मुक्त होकर साधनालीन हो गए।

गायत्री मंत्र की करिश्माई शक्ति ये है कि आप इसे जिस उद्देश्य से साधेंगे, ये उसे अवश्य पूरा करेगी। यदि आपने भौतिक सुखों की चाह में साधा तो ये आपको समृद्ध बनाएगी. यदि मुक्ति व मोक्ष की कामना से साधा तो आपके सभी पूर्व संचित कर्मों (पाप व पुण्य दोनों) का नाश करके आपको परमात्मशरण में ले जाएगी। सभी दुनियावी साधन परमात्मा से दूर करते हैं जबकि गायत्री उपासना आपको परमात्मा की शरण में सहज रूप से ले जा पाने में सक्षम है।

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