कांप जायेंगे जान, कोरोना कुछ भी नहीं इस बीमारी के आगे
कोलकाता टाइम्स :
आज पूरी दुनिया कोरोना के चपेट में है। आशंका है लाखों लोगों की जान जाने की। आतंक चारों ओर। लेकिन क्या आपको पता है इस आतंक से बढ़कर दुनिया में एक और आतंक ने कम से कम 5 करोड़ लोगों की जान ले ली थी। यह दुनिया के हर हिस्से में फैल गई थी। जापान, अर्जेंटिना और अन्य दर्जनों देशों में इससे लोग प्रभावित हुए थे।
कोरोना वायरस से पहले भी दुनिया में एक फ्लू ने कहर ढाया था जिसका नाम स्पैनिश फ्लू था। अमेरिका में स्पेनिश फ्लू के शुरुआती मामले मार्च 1918 में सामने आए थे।
अभी की तरह उस समय दुनिया आपस में नहीं जुड़ी हुई थी। समुद्री मार्गों से ही एक देश से दूसरे देश आना-जाना होता था। फिर भी यह बीमारी काफी तेजी से फैली। तुरंत ही यह महामारी अलास्का के सुदूर इलाकों में पहुंच गई। करीब दो सालों तक इसका कहर जारी रहा। ऐसा माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत सैनिकों से हुई थी। उस समय पहला विश्वयुद्ध चल रहा था।
सैनिकों के बंकरों के आसपास गंदगी की वजह से यह महामारी सैनिकों में फैली और जब सैनिकों अपने-अपने देश लौटे तो वहां भी यह बीमारी फैल गई। स्पेनिश फ्लू की शुरुआत कहां से हुई? स्पेनिश फ्लू की शुरुआत कहां से हुई, इसको लेकर इतिहासकारों का अलग-अलग विचार है. कुछ का मानना है कि फ्रांस या अमेरिका स्थिति ब्रिटिश आर्मी के बेस से इसकी शुरुआत हुई थी।
हाल ही में एक नई थ्यौरी आई है जिसमें इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस थ्यौरी के मुताबिक स्पेनिश फ्लू की शुरुआत साल 1917 के आखिरी हिस्से में उत्तरी चीन में हुई. वहां से यह बीमारी पश्चिमी यूरोप में फैली क्योंकि फ्रांस और ब्रिटेन की सरकारों ने मजदूरी के कामों के लिए 1 लाख से ज्यादा चीनी मजदूरों को नौकरी पर रखा था।
उन मजदूरों के साथ यह बीमारी यूरोप पहुंची। इस बीमारी की शुरुआत स्पेन में नहीं हुई तो इसका नाम स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा। इसका एक कारण माना जाता है कि पहले विश्वयुद्ध में स्पेन तटस्थ था। उसने अपने यहां बीमारी फैलने की खबर को दबाया नहीं।
इससे मरने वाले लोगों की संख्या को भी लेकर अलग-अलग अनुमान है। उन अनुमानों के मुताबिक, करीब 3 करोड़ से 5 करोड़ लोगों की इससे मौत हुई यानी उस समय की 1.7 फीसदी आबादी मौत के मुंह में समा गई। और भी खतरनाक इन्फ्लुएंजा इतिहास में स्पैनिश फ्लू ही सबसे खतरनाक इंफ्लुएंजा नहीं था।
* इससे दो दशक पहले रशियन फ्लू (1889-1894) ने करीब 10 लाख लोगों को चपेट में ले लिया था।
* 1957 से 1958 तक फैले एशियन फ्लू में 15 लाख से 40 लाख लोगों की मौत का अनुमान है।
* 1968 से 1969 तक फैले हॉन्ग कॉन्ग फ्लू में भी करीब 10 लाख से 40 लाख लोगों की मौत का अनुमान व्यक्त किया गया है। स्पेनिश फ्लू और कोरोना वायरस में अंतर कोविड-19 और स्पैनिश फ्लू में कई बड़े अंतर हैं।
* कोरोना वायरस से अब तक ज्यादातर मौतें अधिक उम्र के लोगों या पहले से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों की हुई हैं जबकि स्पेनिश फ्लू ने जवानों और नवजातों को निशाना बनाया था।