July 4, 2024     Select Language
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जब एक्टरों की शादी में लिपस्टिक से बनी बात 

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कोलकाता टाइम्स  :

पनी कुछ फिल्मों की असफलता के बाद शम्मी कपूर की जब फिल्में हिट होने लगीं, तब हीरो के रूप में लोग उन्हें पसंद करने लगे। जब कुछ फिल्मों की सफलता के बाद शम्मी कपूर स्थापित हुए, तो युवतियां उनकी दीवानी हो गई, लेकिन कहते हैं न कि हर कलाकार का कोई न कोई पसंदीदा कलाकार होता है। शम्मी कपूर तब अभिनेत्री गीताबाली के दीवाने थे। वे चाहते थे कि काश, एक फिल्म गीताबाली के साथ करने को मिल जाए। फिल्म ‘सुहागरात’ में गीताबाली के हीरो भारत भूषण थे। यह फिल्म देखने के बाद तो शम्मी कपूर गीताबाली के और दीवाने हो गए।

काफी प्रयास के बाद ‘रंगीन रात’ में गीताबाली के साथ शम्मी कपूर को काम करने का अवसर मिला। साथ काम करते हुए दोनों में जब अच्छी पटने लगी, तो मौका देख शम्मी ने गीताबाली से अपने दिल की बात कह दी। उन्होंने भी इस प्रस्ताव को स्वीकार लिया।

दोनों ने सन 1956 में शादी कर ली, लेकिन शादी के वक्त दोनों के परिवार से कोई नहीं था। जॉनी वाकर ने मंदिर में चुपके से व्यवस्था कराई। दोनों दुनिया की नजरों से छिपकर वहां गए। सारी रस्में हुई, लेकिन जब सिंदूर डालने का वक्त आया, तो पता चला कि सिंदूर तो है ही नहीं।

अब क्या होगा? जॉनी वाकर, शम्मी कपूर के साथ गीताबाली और पंडित जी इस बात को लेकर परेशान थे कि शादी बिना सिंदूर के कैसे होगी? अंत में शम्मी कपूर ने अकल लगाई और उन्होंने सभी से कहा, शादी मुझे और गीता जी को करनी है और उनकी मांग में सिंदूर ही तो डालना है? मैं अभी इस समस्या का हल करता हूं। गीताबाली शम्मी कपूर की बात सुनकर सोच में पड़ गई। ऐसी ही हालत थी जॉनी वाकर और पंडित जी की भी। वे सभी सोच रहे थे कि शम्मी कपूर पता नहीं क्या करने वाले हैं? शम्मी कपूर ने बगल में रखी गीताबाली की बैग से लिपस्टिक निकाली और उसे अपनी अंगुली में लगाया और उसी से गीताबाली की मांग भर दी। ऐसा करने के बाद शम्मी कपूर ने सभी से कहा, ‘लो अब हो गई न शादी? देखो, गीता जी की मांग में सिंदूर कितना सुंदर लग रहा है? सभी ने उनकी बात सुनकर हंस दिया और वे दोनों मंदिर से घर को चल दिए।

शम्मी कपूर और गीताबाली की शादी तो हो गई, लेकिन इस शादी का विरोध तब कपूर खानदान में जमकर हुआ, लेकिन शम्मी कपूर भी तब विद्रोही तेवर वाले युवा थे। उनकी वजह से ही कपूर घराने में कोई फिल्मी लड़की बहू बनकर पहली बार आई थी। इन दोनों की शादी भले ही मंदिर में हुई लेकिन बाद में परिवार के मानने के बाद दोनों की पार्टी के दिन भी लोगों के बीच रस्म अदा की गई। समय के साथ गीताबाली ने लड़का आदित्य राजकपूर और लड़की कंचन को जन्म दिया। शम्मी कपूर परिवार के साथ बहुत खुश थे, उनका करियर चरम पर था, तभी अचानक गीताबाली 1965 में स्वर्ग सिधार गई। इस सदमे को वे सहन नहीं कर पाए। काफी टूट गए। उन्होंने फिल्मों में चार साल तक काम नहीं किया। भाई राजकपूर के समझाने पर वे किसी तरह फिल्मों में काम करने लगे। फिर व्यस्तता बढ़ी, तो मन लगने लगा। वह भी समय आया, जब भाई राजकपूर और बच्चों ने उन्हें शादी करने की सलाह दी, लेकिन इसके लिए वे तैयार नहीं थे। बहुत कहने-सुनने पर वे बच्चों और राजकपूर की बात मान गए।

भावनगर राजघराने की लड़की, जो शम्मी कपूर की अच्छी प्रशंसक थीं, नीला देवी से उनकी दूसरी शादी हुई। नीला ने दोनों बच्चों को मां का सच्चा प्यार दिया, पाला-पोसा। बेटे आदित्य ने पहले बिजनेस किया, उसके बाद उसने तीन अंग्रेजी फिल्में डायरेक्ट कीं, लेकिन अब वे 54 साल की उम्र में हिंदी की एक फिल्म में नेगेटिव रोल में आने वाले हैं। बेटी कंचन विदेश में शादी करके वहीं बस गई। दोनों के दो-दो बच्चे हैं।

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