परेशान है इस देव की कोप से ? ये करें उपाय
कोलकाता टाइम्स :
कई बार किसी समय-विशेष में कोई ग्रह अशुभ फल देता है, ऐसे में उसकी शांति आवश्यक होती है। इनमें से किसी एक को भी करने से अशुभ फलों में कमी आती है और शुभ फलों में वृद्धि होती है। वर्तमान समय में शनि देव के विषय में बहुत सी भ्रांतियाँ लोगों में फैली हुई है। हर कोई शनि देव को प्रसन्न करने में जुटा है| कुंडली में मौजूद सभी ग्रह अच्छे या बुरे साबित हो सकते हैं| शनि यदि कुंडली में शुभ भावों के स्वामी हैं तब वह कभी बुरा फल नहीं देगें| यदि कोई व्यक्ति साढेसाती अथवा शनि की ढैय्या से पीड़ित है तब उसे अपने कर्मों का भुगतान करना ही होगा चाहे वह कितना भी उपाय क्यूँ ना कर ले| इस समय शनि उन्हें अपने और पराये का फर्क बताने का काम करता है|
यदि कोई शनिदेव का उपचार करना भी चाहता है तब उसे कुछ बातों का ध्यान रखना होगा| सबसे पहले तो यह ध्यान रखें कि कभी भी शनिवार के दिन तेल नहीं खरीदें| तेल को पहले से ही खरीदकर घर में रखें और उसी में से थोड़ा – थोड़ा शनि मंदिर में अर्पित करें| जब शनिदेव की मूर्ति पर तेल अर्पित करें तब कभी भी उनकी आंखों में ना झांके क्यूंकि उनकी दृष्टि को ही खराब माना गया है| शनि देव जी के चरणों में देखते हुए तेल दें| चाहे तो शनिवार के दिन तेल मांगने वाले को भी तेल दान कर सकते हैं| यह तेल दान छाया दान के रुप में भी दिया जा सकता है| एक कटोरी में थोड़ा सा तेल लेकर उसमें अपनी परछाई देखकर उसे दान कर दें, इसे छाया दान कहा गया है| साथ में एक सिक्का भी अवश्य दान करना चाहिए|
शनि देव के लिए मंत्र उपचार –
जिन लोगों की कुंडली में शनि ग्रह की महादशा चल रही हो उन्हें उसके मंत्र जाप अवश्य करने चाहिए| चाहे शनि ग्रह उनकी कुंडली के लिए शुभ हो अथवा अशुभ हो| जब भी किसी ग्रह की महादशा आरंभ होती है तब फल उस महादशा को देने होते हैं | यदि अशुभ ग्रह की दशा है तब वह और अधिक अशुभ हो सकती है| इसलिए महादशानाथ के मंत्र जाप अवश्य करने चाहिए|शनि की महादशा के लिए शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए. शुक्ल पक्ष के शनिवार से संध्या समय में मंत्र जाप आरंभ करने चाहिए| स्वच्छ वस्त्र पहन कर शुद्ध आसन पर बैठना चाहिए| उत्तर अथवा पूर्व की ओर मुख करना चाहिए| उसके बाद शुद्ध मन से शनिदेव को याद करके मंत्र जाप शुरु करना चाहिए| मंत्र जाप की संख्या 108 होनी चाहिए|
यदि शनि की महादशा आरंभ होते ही 19,000 मंत्रों का जाप यदि कर लिया जाए तो अशुभ फलों में कमी आ सकती है| महादशा शुरु होने के बाद जब तक शनि की प्रत्यंतर दशा चलती है तब तक 19,000 हजार मंत्रों का जाप पूरा किया जा सकता है| उसके बाद हर शनिवार को एक माला की जा सकती है|