जज ने चोरी की सजा में नाबालिग को दिया राशन-कपड़ा, कई सुविधा भी, वजह रुला देगा
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कोलकाता टाइम्स :
कोरोना वायरस ने लोगों का बाहार निकला मुश्किल किया तो लॉकडाउन ने घर के अंदर जीना। वे क्या करे जो हर रोज बाहर निकलकर दो वक्त की रोटी जुटाते थे। कैसे भरे पेट ? हालाँकि ऐसे कठिन समय में समाज के ऐसे लोग भी सामने आ रहे हैं, जो गरीबों की मजबूरी समझ रहे हैं और उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला नालंदा जिले के बिहारशरीफ में देखने को मिला। एक नाबालिग को चोरी के आरोप में पुलिस ने जज के सामने पेश किया। जज को जब पता चला कि किशोर ने भूख से तड़प रही मां के लिए खाना जुटाने के लिए चोरी की तो उन्होंने उसे सजा की जगह राशन और कपड़ा दिया।
इस्लामपुर में रहने वाले नाबालिग को पुलिस ने किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट में पेश किया था। उन्होंने किशोर को मुक्त कर दिया। साथ ही पदाधिकारियों को उसे हरसंभव मदद करने और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने का आदेश दिया। उन्होंने किशोर को खाने के लिए राशन और उसकी विक्षिप्त मां लिए कपड़े दिलाए। जज ने इस्लामपुर बीडीओ को पत्र लिखकर किशोर को सरकारी योजनाओं का लाभ देने के निर्देश दिए. भोजन के लिए अनाज उपलब्ध हो, इसके लिए राशन कार्ड, किशोर की मां को विधवा पेंशन, गृह निर्माण के लिए अनुदान राशि, समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित स्पॉन्सरशिप योजना से जोडऩे के लिए आधार कार्ड, आय प्रमाणपत्र, आवासीय प्रमाणपत्र, बैंक खाता खुलवाना, किशोर को कौशल विकास कार्यक्रम से जोडऩा जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा गया है।
किशोर के पिता की मौत कुछ साल पहले हो चुकी है. पिता की मौत के बाद उसकी मां विक्षिप्त हो गई। मां की स्थिति ऐसी है कि दैनिक क्रिया-क्रम के लिए भी वह अपने बेटे पर निर्भर है. एक छोटा भाई भी है। परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी किशोर पर है। घर के नाम पर कच्ची मिट्टी की एक टूटी-फूटी फुसनुमा झोपड़ी है।