शुक्रवार को इस सिंदूर की पूजा यानि लग गयी आपकी लॉटरी
कोलकाता टाइम्स :
कामाख्या सिन्दूर असली में छोटे छोटे पत्थरोँ के रूप में होता है, जो की कामाख्या मंदिर से प्राप्त होता है कामाख्या सिन्दूर को कामिया सिन्दूर भी कहते हैं। ये सिंदूर सिर्फ अम्बुबाची मेला के दौरान ही वितरित किया जाता है। जब तीन दिन के लिए कामाख्या मंदिर का द्वार बंद कर दिया जाता है उसके बाद प्रसाद के रूप में सिन्दूर वितरित किया जाता है। अम्बुबाची मेला हर साल जून के महीने में मनाया जाता है। जहा ये मंदिर स्थित है उस गांव का नाम अम्बुबाची है इसलिए इस मेले का नाम अम्बुबाची मेला है।
ऐसी मान्यता है कि विवाहित महिलाओं के लिए देवी कामाख्या के इस सिंदूर का अति महत्व है। ये कामरुप कामाख्या क्षेत्र में ही पाया जाता है। इस सिंदूर का सर्वोत्म फल प्राप्त करना आसान नहीं है। कहते हैं कि विशेष तरह के एक मंत्र के 108 बार जाप से इसे सिद्ध किया जाता है, तब जाकर सुहागिने इसे प्रयोग करती हैं और इच्छित फल प्राप्त करती हैं। विवाह जैसे मांगलिक कार्यों में कामाख्या सिंदूर का प्रयोग अखंड सौभाग्य देने वाला माना जाता है। इसे लगाने वाली स्त्री की हर मनोकामना पूरी होती है ऐसा कहा जाता है। सबसे पहले सिंदूर को चांदी की डिब्बी में रखकर कामाख्याये वरदे देवी नीलपावर्ता वासिनी! त्व देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते मंत्र का 108 बार पाठ करें। जाप करने के लिए चुटकी में सिंदूर लेकर 11 या 7 बार शुक्रवार के दिन इसे शुरू करें और लगातार सात दिनों तक ऐसा करें। मंत्र के उच्चारण के बाद हथेली में गंगाजल, केसर, चंदन और सिंदूर को मिलाकर माथे पर तिलक लगायें। तिलक लगाते समय कामाख्याम कामसम्पन्ना कामेश्वरी हरप्रिया द्य, कामना देहि में नित्य कामेश्वरी नमोस्तुते द्यद्य मंत्र का उच्चारण करें।