‘2 जून’ की रोटी नसीब वालो को ही मिलती है
कोलकाता टाइम्स :
आज 2 जून है और आज के इस दिन को लेकर एक बहुत ही फेमस कहावत कही जाती है कि बहुत खुशकिस्मत होते है वो लोग जिन्हे 2 जून की रोटी नसीब होती है। लेकिन इस बारे में हम आपको यह भी बता दे कि इस मुहावरे का दो जून से किसी तरह का कोई संबंध नहीं है। आज भी इस बात को लेकर पुष्टि नहीं हुई है कि आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है. लेकिन कुछ बातें है जिन्हे इससे जोड़ा जाता है।
जैसे इस बारे में विक्रम विवि के कुलानुशासक शैलेंद्र कुमार शर्मा का यह कहना है कि यह भाषा का रूढ़ प्रयोग है। अधिकता से इस बारे में समझे तो मुहावरों का प्रचलन करीब 600 साल पहले से चला आ रहा है। आमतौर पर मुहावरों का उपयोग किसी खास घटना को दर्शाने के लिए किया जाता है। इसे आप ऐसा भी कह सकते है कि किसी बात को सीधे लफ्जो में ना बोलकर भी सभी को समझने के लिए मुहावरों का उपयोग होता है।
आज हम बात कर रहे है दो जून की रोटी के बारे में तो इस बारे में एक दिग्गज ने बताया कि दरअसल दो जून की रोटी से किसी महीने का मतलब नहीं है बल्कि यह तो दो टाइम की रोटी के लिए कहा गया है। जी हाँ इसका मतलब है दो समय यानि सुबह और शाम की रोटी से है। सीधे अगर बात करें तो यह कहा जाता है कि दो जून यानि दो टाइम की रोटी केवल नसीब वालो को ही मिलती है।