July 2, 2024     Select Language
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कुछ खास चाहिए तो बृहस्‍पतिवार को करे यह खास मंत्र से पूजा 

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कोलकाता टाइम्स :

ब्रह्मा, विष्‍णु, महेश तीनों त्रिदेव में भगवान विष्णु को संसार के पालनहार का स्‍थान प्राप्‍त है और इनके भक्त वैष्णव कहलाते हैं। गुरू भगवान के भक्‍त उन्‍हें कई नामों से बुलाते हैं कोई उन्‍हें जगन्नाथ भगवान के रूप में पूजता है तो कोई कृष्ण के रूप में तो कोई पदमनाभ स्वामी के रूप में और कोई रंगनाथ स्वामी के रूप में पूजा करता है। इन सारे ही रूपों का मूल श्री विष्णु ही हैं। गुरूवार यानि ब्रहस्‍पतवार भगवान विष्णु को समर्पित दिन माना जाता है। इन्‍हें सत्य नारायण भगवान के नाम से भी पूजा जाता है, परंतु इस दिन इनकी पूजा और व्रत गुरू भगवान के रूप में की जाती है।

ऐसे करते हैं पूजा

गुरूवार को शुद्ध हो कर भगवान को स्‍नान करायें फिर, पूजा और मंत्र जाप के साथ विष्णु जी की धूप, दीप व कपूर से आरती करें। इसके बाद चरणामृत व प्रसाद ग्रहण करें। चातुर्मास, एकादशी, द्वादशी व पूर्णिमा तिथियों पर भगवान विष्णु की भक्ति, श्री विष्णु मंत्र का जाप और ध्यान के साथ की गई पूजा बड़ी मंगलकारी मानी गई है।

श्री विष्‍णु के प्रमुख मंत्र 

भगवान विष्णु को समर्प्रित मुख्य मंत्र इस प्रकार हैं। ये सभी मंत्र भगवान विष्णु की महानता का परिचायक हैं इसका मन से जाप करना चाहिए।

ऊं नमोः नारायणाय. ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय।

विष्णु गायत्री महामंत्र- ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

विष्णु कृष्ण अवतार मंत्र-  श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

भगवान विष्णु की महानता का परिचायक है इसका रोज जप  करना चाहिए।

विष्णु रूपं पूजन मंत्र- शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।

वन्दे विष्णुम  भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।

कैसे करे मंत्रो का जाप

स्नान के बाद घर के देवालय में पीले या केसरिया वस्त्र पहन श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल स्नान के बाद केसर चंदन, सुगंधित फूल, तुलसी की माला, पीताम्बरी वस्त्र कलेवा, फल चढ़ाकर पूजा करें। भगवान विष्णु को केसरिया भात, खीर या दूध से बने पकवान का भोग लगाएं। धूप व दीप जलाकर पीले आसन पर बैठ तुलसी की माला लेकर विष्णु गायत्री मंत्र की जैसी श्रद्धा हो उसके अनुसार 1, 3, 5, 11 माला का फेरा करें। उसके साथ ही शेष मंत्रों का भी जाप करें। ऐसा करने से यश, प्रतिष्ठा व उन्नति की प्राप्‍ति होगी।

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