July 6, 2024     Select Language
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गुरुवार घर से कबाड़ बाहर निकालना कर सकता है बर्बाद , क्योंकि … 

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कोलकाता टाइम्स :

गुरूवार को विष्‍णु जी की पूजा का आरंभ आप ‘ऊं नमो नारायणा’ मंत्र के जाप के साथ कर सकते हैं। इस मंत्र के जाप से जीवन में सुख-शांति आती है। बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों को समर्पित है, इस दिन किसी भी रूप की पूजा दूध, दही, घी से करें। बृहस्‍पति के व्रत में सिर्फ एक ही बार भोजन किया जाता है और वो भी दूध से बने व्‍यंजनो से बना।

बृहस्‍पति गुरू का भी दिन

बृहस्पतिवार बृहस्पति ग्रह को प्रसन्न करने के लिए भी एक अच्छा दिन है, इसे सभी ग्रहों का गुरु भी कहा जाता है। यही वजह है कि बृहस्पतिवार का एक नाम गुरुवार भी है। इस दिन का शुभ रंग पीला माना जाता है। व्रत रखने वाले लोग इस दिन घी और चने की दाल या फिर पीले रंग के किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं। जो लोग बृहस्पतिवार का व्रत रखते हैं उन पर बृहस्पतिदेव प्रसन्न होते हैं और उन्हें स्वस्थ और खुशहाल जीवन प्रदान करते हैं। इस दिन पूरे श्रद्धाभाव से व्रत करने वाले व्यक्त‍ि की मनोकामना पूर्ण होती है और उसका गुरु दोष भी खत्म होता है।

कुछ बातों का रखें ख्‍याल 

इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सारे सुखों की प्राप्ति होती है, लेकिन व्रत के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। अगर आप गुरुवार का व्रत शुरू कर रहे हैं तो ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन बाल न कटाएं और ना ही दाढ़ी बनवाएं। कपड़े और बाल न धोएं, घर से कबाड़ बाहर निकालना भी इस दिन वर्जित माना जाता है। इस दिन नमक का प्रयोग न करें। इसके साथ ही भगवान विष्णु को जो भी फल चढ़ाएं, उन्हें स्‍वयं ना खायें बल्‍कि दान कर दें। लक्ष्मी और नारायण दोनों की सदैव साथ में पूजा करें।

साईं बाबा की भी होती है पूजा 

क्‍योंकि बृहस्‍पतिवार गुरू की पूजा का दिन है और साईं बाबा को भी गुरू के रूप में माना जाता है, इसीलिए इस दिन उनकी भी पूजा होती है। साईं की पूजा में सबसे पहले प्रात काल शुद्ध मन और तन से उनकी मूर्ति को त्रिमिद यानि पानी , दूध और दही के मिश्रण से स्नान करायें। इसके बाद पुन: साफ जल से स्‍नान करा कर सूखे कपड़े से पोछें। श्रदा और सबुरी को समर्पित घी के 2 दीपक साईं बाबा के आगे जलाने चाहिए। दीपक में इतना घी डालें की वो कम से कम 20 मिनट तक जल सके। श्री साईं सतचरित्र का फिर पाठ करे और बाबा साईं के बारे में दिल से मनन करे। अंत में जय जय साईं राम साईं राम हरे हरे और ऊं साईं नाथाय नमः ऊं श्री शिर्डी देवाय नमः जाप करते हुए प्रसाद में बाबा को फल, मिष्‍ठान अर्पण करे और वही भोजन स्‍वंय प्रसाद के रूप में लें। बचे हुए भोजन को गाय, कुते और अन्य जीवों में बांट दें।

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