July 3, 2024     Select Language
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भारत की सहानुभूति अपनी कुर्सी दोनों जाता देख ओली का ‘त्राहिमाम’  

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कोलकाता टाइम्स :

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने भारत को छोड़कर चीन को चुना, उपनी संप्रभुता को समर्पण कर दिया लेकिन ये दांव उनपर ही उल्टा पड़ गया। चीन के उकसाने पर भारत से दुश्मनी मोली लेकिन उसी चीन के हाथों ओली नेपाल की भूमि खो रहे हैं। साथ में भारत की सहानुभूति भी खो रहे हैं। भारत की जमीन नेपाल का बता ओली सरकार ने अपने देश की मैप तक को बदल डाला। लेकिन अब ओली सरकार को यह कदम फाफी महंगा साबित हो रहा है।

अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए चलाए गए इस अभियान ने ऐसा मोड़ लिया है कि अब उनकी सरकार पर ही बन आई है। काठमांडू पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री के रूप में ओली की स्थिति डांवाडोल है और उनकी अपनी पार्टी ही चाहती है कि वो पद छोड़ दें।

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी असल में दो कम्युनिस्ट पार्टियों का गठबंधन है- जिसके एक के अध्यक्ष हैं पुष्प कमल दहल, जिन्हें प्रचंड के नाम से भी जाना जाता है, और दूसरी की अध्यक्षता कर रहे हैं के पी शर्मा ओली. प्रचंड दो बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उनके समर्थकों ने प्रधानमंत्री ओली पर पार्टी और सरकार को विफल करने के आरोप लगाए हैं। अपने पद पर बने रहने और राष्ट्रवाद साबित करने के लिए ओली ने भारत के खिलाफ एक कठिन फैसला लिया। लेकिन, हवा का रुख बदल गया। इस हफ्ते, ओली सरकार को कई असफलताओं का सामना करना पड़ा। पहला, विपक्ष ने संसद में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कहा गया कि चीन ने नेपाल की 64 हेक्टेयर से अधिक भूमि का अतिक्रमण किया है। जिसके बाद अब नेपाल कम्युनिस्ट पार्टीचाहती है ओली इस्तीफा दे।

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