July 3, 2024     Select Language
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अहम फैसला : किराएदार की मौत के बाद उसका परिवार हक़दार  

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कोलकाता टाइम्स :
ब इसे किरायेदारों के लिए खुशखबरी कहेंगे या मकान मालिकों के लिए बुरी खबर। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किराएदार की मौत के बाद उसके परिवार को मकान निकाल नहीं पायेगा क्योंकि उसी किराएदारी के तहत संपत्ति में बने रहने का हक है। ये सबलेटिंग यानी उपकिराएदारी और किराएदार द्वारा उस संपत्ति को किसी तीसरे को किराए पर चढ़ा देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मृतक किराएदार के परिजनों से सबलेटिंग की दलील पर मकान खाली नहीं करवाया जा सकता है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ये व्यवस्था देते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें हाई कोर्ट ने एक किराएदार के परिवार को उपकिराएदार मानकर यूपी शहरी भवन (किराएदारी, किराया और खाली करने के विनियमन) एक्ट, 1972 की धारा 16(1) (बी) के तहत मकान को खाली घोषित कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस बी. आर. गवई की बेंच ने कहा कि इस मामले में किराया नियंत्रक के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट को अनुच्छेद 227 के तहत अपील नहीं सुननी चाहिए थी। इस अनुच्छेद के तहत हाई कोर्ट को अपीलीय कोर्ट का अधिकार प्राप्त नहीं है।

मामले में मसूरी में मकान मालिक संजय कुमार सिंघल ने अपने किराएदार के बेटे मोहम्मद इनाम से अपनी संपत्ति खाली करवाने के लिए 1999 में निचली अदालत में मुकदमा दायर किया था कि उसके किराएदार रशीद अहमद ने उसकी संपत्ति को सबलेटिंग यानी उपकिराएदरी पर उठा दिया है। किराया कानून में मकान सबलेट करने पर मकान मालिक को अपनी संपत्ति खाली करवाने का अधिकार है।

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