कोलकाता टाइम्स :
विहाह पंचमी जिसे विहार पंचमी भी कहते हैं हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रति वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को होती है। रामायण के अनुसार त्रेता युग में सीता-राम का विवाह इसी दिन हुआ था। मिथिलाचंल और अयोध्या में तिथि पर बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाये जाते हैं। इस बार विवाह पंचमी 23 नवंबर को मनाई जाएगी। वैसे कहते हैं कि ये बांकेबिहारी के प्रकट होने की तिथि भी है।
ऐसे करायें राम सीता का विवाह पायें वरदान
इस दिन राम जानकी को प्रसन्न कर वरदान पाने के लिए प्रातः काल स्नान के बाद राम विवाह का संकल्प लें। उसके बाद श्री राम और सीता जी की प्रतिमाओं की स्थापना करें। राम जी को पीले और सीता जी को लाल वस्त्र से सजायें। इसके बाद उनके सामने बैठ कर बालकाण्ड में राम विवाह प्रसंग का पाठ करें और “ॐ जानकीवल्लभाय नमः” मंत्र का जप करें। अब दोनों गठबंधन करने के बाद उनकी आरती करें। इस तरह उनका विवाह संपन्न हो गया है बाद में गठबंधन वाले वस्त्रों को अपने पास पूजा घर या अलमारी के लॉकर सुरक्षित रख लें। इस तरह राम विवाह करवा कर सुखमय वैवाहिक जीवन के सभी आर्शिवाद प्राप्त करें।
मिलते हैं ऐसे वरदान
विवाह पंचमी पर राम सीता का विवाह कराने से विवाह संबधी कई समस्याओं का निदान हो जाता है और सुखी दांपत्य का वरदान मिलता है। ऐसा करने से विवाह होने में आ रही बाधा दूर हो जाती है। मनचाहा जीवनसाथी पाने का वरदान भी मिलता है। आपसी तनाव से मुक्ति मिलती है। इस दिन राम और माता सीता की साथ में पूजा करने से विवाह होने में आ रही बाधाओं का भी अंत होता है। बालकाण्ड में श्री राम और सीता के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ होता है। इस दिन पूरे रामचरित-मानस का पाठ करने से पारिवारिक जीवन सुखमय होता है।