यह 5 लक्षण बताते हैं पितर हैं अतृप्त, करें ये आसान उपाय
कोलकाता टाइम्स :
परिवार में क्लेश रहना:
अगर घर पर सारे सुख साधन होने के बाद भी क्लेश रहता है। परिजनों में लड़ाई झगड़ा होता है तो माना जाता है पितर अतृप्त है।
संतान सुन न मिलना:
यदि विवाह के कई वर्षो बाद भी संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा है। इसका मतलब भी माना जाता है कि पितृ दोष लगा है।
गंभीर रोगों से घिरना:
परिवार में अशांति व अचानक से परिजनों का गंभीर बीमारियों से ग्रसित होना भी पितरों के अतृप्त होने की ओर संकेत करता है।
काम में बाधा आना:
हर बड़े-छोटे काम में अचानक से बाधाएं आ जाना है। काम बनते-बनते ऐन वक्त पर रुक जाना भी पितृ दोष ही माना जाता है।
पितरों के सपने आना:
अच्छी कमाई के बाद आर्थिक स्िथतियों से जूझना और अक्सर पितरों से जुड़े भयानक सपने आना भी पितरों का अतृप्त माना जाता है।
करें ये 5 आसान उपाय:
पितृ पक्ष में श्राद्ध करें:
पितृ पक्ष में पितरों की विधिविधान से श्राद्ध करके भी इस दोष से आसानी से बचा जा सकता है। पितर खुश होकर आशीर्वाद देते हैं।
नदी में तर्पण से लाभ:
पितृ पक्ष में किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण जरूर करना चाहिए। इससे भी पितृ दोषों में कमी आती है।
चार जीवों को भोजन:
पितृ पक्ष में चीटीं, गाय, कौए और गाय को भोजन कराकर पितरों को खुश किया जा सकता है। इससे पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
पीपल के पेड़ में जल:
श्राद्ध पक्ष में पीपल के पेड़ में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढाएं। इससे भी पितृ दोष से बचा जा सकता है।
ईष्ट देव की आराधना:
पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए हर दिन अपने ईष्ट देव की आराधना करें। उनसे प्रार्थना करें कि इस दोष से मुक्ति दिलाएं।